छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ एक अभिनव पहल की गई है

छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ एक अभिनव पहल की गई है

24, 9, 2025

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छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ एक अभिनव पहल की गई है, जो न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि समाज के कमजोर वर्गों के लिए भी सहायक सिद्ध हो रही है।

अंबिकापुर नगर निगम ने "गैरेज कैफे" की शुरुआत की है, जहां नागरिक प्लास्टिक कचरे को लाकर मुफ्त भोजन प्राप्त कर सकते हैं। इस पहल का उद्देश्य प्लास्टिक कचरे को कम करना और साथ ही जरूरतमंदों को भोजन प्रदान करना है। नगर निगम ने इस योजना के तहत 1 किलो प्लास्टिक कचरे के बदले में एक पूर्ण भोजन और 500 ग्राम कचरे के बदले में नाश्ता प्रदान करने की व्यवस्था की है। इससे न केवल प्लास्टिक कचरे की मात्रा में कमी आई है, बल्कि समाज के गरीब वर्ग को भी सहायता मिल रही है।

इस पहल के तहत एकत्रित प्लास्टिक कचरे का उपयोग सड़क निर्माण में किया जा रहा है। अंबिकापुर में प्लास्टिक कचरे से बनी सड़कें पहले ही बनाई जा चुकी हैं, जो पर्यावरण के लिए लाभकारी साबित हो रही हैं। इससे यह सिद्ध होता है कि प्लास्टिक कचरे का सही उपयोग करके न केवल पर्यावरण की रक्षा की जा सकती है, बल्कि बुनियादी ढांचे में भी सुधार किया जा सकता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अंबिकापुर के छात्रों द्वारा चलाए गए सिंगल यूज प्लास्टिक विरोधी अभियान की सराहना की है। उन्होंने ट्वीट करके कहा, "हमारे युवा छात्रों द्वारा किया गया यह कार्य सराहनीय है। इस तरह के प्रयास सिंगल यूज प्लास्टिक को कम करने में जागरूकता बढ़ाएंगे।" 

अंबिकापुर की यह पहल अन्य शहरों के लिए भी एक आदर्श प्रस्तुत करती है। यह सिद्ध करती है कि यदि समाज के सभी वर्ग मिलकर प्रयास करें, तो पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक कल्याण दोनों को एक साथ बढ़ावा दिया जा सकता है।

इस पहल से यह भी स्पष्ट होता है कि सरकार की योजनाओं का सफल क्रियान्वयन तभी संभव है जब नागरिक भी उसमें सक्रिय रूप से भाग लें। अंबिकापुर के नागरिकों ने इस पहल में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है, जिससे यह योजना सफल हो रही है।

कुल मिलाकर, अंबिकापुर में सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ उठाए गए कदम न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण हैं, बल्कि समाज के कमजोर वर्गों के लिए भी सहायक सिद्ध हो रहे हैं। यह पहल अन्य शहरों के लिए भी एक प्रेरणा स्रोत बन सकती है।


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