बिलासपुर न्यायालय ने गांजा तस्करी के दो आरोपियों को सुनाई कठोर सजा: 10-10 वर्ष की जेल और ₹1 लाख जुर्माना

बिलासपुर न्यायालय ने गांजा तस्करी के दो आरोपियों को सुनाई कठोर सजा: 10-10 वर्ष की जेल और ₹1 लाख जुर्माना

11, 8, 2025

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बिलासपुर। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) की जांच के बाद आज एक अदालती फैसले में बिलासपुर की अदालत ने दो व्यक्ति को गांजा तस्करी के मामले में दोषी ठहराते हुए उन्हें 10 साल की कठोर कारावास (Rigorous Imprisonment)₹1 लाख का जुर्माना लगाया है। यह सजा इस बात की मिसाल है कि कोर्ट और कानून नशे से जुड़े अपराधों को गंभीरता से ले रहे हैं।


मामला क्या था

  • घटना अगस्त 2023 की है जब NCB की टीम को सूचना मिली कि कुछ लोग राज्य की सीमा पार से गांजा ले जाकर तस्करी कर रहे हैं।

  • अभियोजन के अनुसार कुल 118.110 किलो गांजा जब्त किया गया, जिसे कार की पिछली सीट तथा डिक्की में छुपाया गया था।

  • गिरफ्तार आरोपियों का नाम प्रवीण कुमार वस्ट्रकर और दीपक कुमार मार्कम बताया गया है, दोनों बिलासपुर जिले के निवासी हैं।


अदालत का फैसला

  • अदालत ने खोज-बीन कर अदालत में पेश हुए सबूतों की समीक्षा के बाद यह पाया कि तस्करी “कॉमर्शियल मात्रा” की थी।

  • गांजा की मात्रा और आरोपी की भूमिका को देखते हुए अदालत ने दोनों को 10 साल की कराई सजा सुनाई, जिसमें कठोर कारावास शामिल है।

  • इसके साथ ही अदालत ने तय किया कि प्रत्येक आरोपी को ₹1 लाख का जुर्माना देना होगा।


अभियोजन पक्ष की दलीलें

  • अभियोजन ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ सीसीटीवी फुटेज, तस्करी के मार्ग, गवाहों के बयान और वाहन की जांच से मिले साक्ष्य पेश किए गए।

  • आरोप है कि गांजा ओडिशा से लाई गई थी और बिलासपुर व आस-पास के जिलों में वितरण की जानी थी।


आरोपी की ओर से बचाव

  • आरोपी पक्ष ने दावा किया कि गांजा की मात्रा या स्थान की भूमिका को लेकर आरोपों में भ्रम है।

  • उन्होंने यह भी कहा कि वाहन मालिक को ज्ञान नहीं था कि सामान में गांजा छुपाया गया है।

  • न्यायालय ने यह तर्क खारिज कर दिए कि क्योंकि डेटा (जैसे कि वाहन की स्थिति, तस्करी मार्ग रिकॉर्ड, आरोपी बयान) पर्याप्त ठोस है।


कानूनी और सामाजिक महत्व

  • यह फैसला NDPS एक्ट की “कॉमर्शियल मात्रा” की श्रेणी में आने वाले अपराधों में कठोर सजा का उदाहरण है।

  • यह अन्य तस्करों को चेताने वाला सन्देश है कि नशे की खेप पकड़ी जाए तो सजा-प्रक्रिया लंबी और सख्त हो सकती है।

  • आम जनता में विश्वास बढ़ता है कि अभियोजन एजेंसियाँ सक्रिय हैं और न्यायालय ऐसे अपराधों को गंभीरता से सुनता है।


प्रभावित क्षेत्र और आगे की चुनौतियाँ

  • तस्करी मार्ग, झाड़ियों या सीमावर्ती इलाकों से गांजा मंगाने-ले जाने वाले नेटवर्क की जांच बढ़ेगी।

  • कोर्टों में ऐसे मामले अक्सर लंबित रहें, लेकिन इस तरह की सजा से प्रक्रिया में तेजी आने की उम्मीद है।

  • जांच एजेंसियों को टीम-वर्क, गोपनीय सूचना, गवाह सुरक्षा और प्रलोभन-रोक थक प्रक्रिया मजबूत बनानी होगी।


बिलासपुर में इस अदालत फैसला से स्पष्ट है कि नशे की तस्करी को गंभीर अपराध माना जा रहा है। दस साल की कठोर सजा और जुर्माना ने यह दिखाया कि कानून दुश्मन नहीं बल्कि समाज के संरक्षण के लिए है।

आगे की राह यह होगी कि दोषी आरोपियों के खिलाफ दोष सिद्ध हो, तस्करी के नेटवर्क का पता चले और भविष्य में ऐसी क़ानूनी कार्रवाइयां समय पर हों।

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