माझी जनजाति की नाबालिग बच्चियों को धर्मांतरण के प्रयास का मामला; महिला के खिलाफ एफआईआर दर्ज

माझी जनजाति की नाबालिग बच्चियों को धर्मांतरण के प्रयास का मामला; महिला के खिलाफ एफआईआर दर्ज

11, 8, 2025

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अंबिकापुर। सरगुजा जिले के मैनपाट ब्लॉक में एक गंभीर आरोप सामने आया है कि माझी जनजाति की छह नाबालिग बच्चियों को बिना उनके माता-पिता की अनुमति लिए धर्म परिवर्तन के लिए ले जाया जा रहा था। इस मामले में पुलिस ने आरोपी महिला के खिलाफ छत्तीसगढ़ धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम की धारा 5(क) के अंतर्गत प्राथमिकी दर्ज की है।


आरोप क्या हैं

  • अभियोग के अनुसार, आरोपी का नाम आरती माझी है, जो गांव सरभंजा की निवासी है। ग्रामीणों का दावा है कि वह पिछले कुछ समय से माझी एवं मझवार जनजाति के लोगों के लड़-कियों को चर्च या प्रार्थना सभा में आमंत्रित करती थी।

  • शिकायत यह है कि रविवार को एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें देखा गया कि बच्चियाँ, आरती माझी के साथ चर्च की ओर जा रही थीं। बच्चियों के परिजनों को यह सूचना नहीं दी गई थी।

  • यह भी आरोप लगाया गया है कि बच्चियों को प्रलोभन देकर — कुछ पैसे देकर — प्रेरित किया गया कि वे सभा में जाएँ।


वीडियो वायरल हुआ

  • वीडियो रविवार को सोशल मीडिया पर आया, जिसमें बच्चियों के साथ महिला चर्च जा रही थी। इस वीडियो ने ग्रामीणों में भारी नाराज़गी बढ़ा दी।

  • चर्चा हुई कि बच्चियों का कहना है कि वे वहां जाने के लिए राज़ी थीं, लेकिन उन्होंने बताया कि उन्हें यह नहीं मालूम था कि किस कार्यक्रम के लिए जा रही हैं और किस धर्म से जुड़ा है।


परिजनों और सामाजिक संगठन की भूमिका

  • बच्चियों के परिजनों ने पुलिस थाने जाकर शिकायत दर्ज करवाई। उन्होंने कहा कि उन्हें यह जानकारी नहीं थी कि उनकी बच्चियाँ चर्च लेकर जाई जा रही थीं।

  • धर्म रक्षा समिति के संयोजक दिलबर यादव ने लिखा है कि यह घटना पहली बार नहीं हुई है; इलाके में ऐसे मामलों के पहले भी सूखे संकेत मिल चुके हैं जब बच्चियों को बाहर कार्यक्रमों में ले जाया गया हो।


पुलिस कार्रवाई

  • स्थानीय पुलिस ने शिकायत मिलने के बाद आरती माझी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है। आरोप है कि उसने बच्चियों को माता-पिता की अनुमति के बिना कार्यक्रम में ले जाने का प्रयास किया।

  • पुलिस ने आरोपी महिला से पूछताछ की है और बच्चे-बच्चियों तथा परिजनों के बयानों को दर्ज किया है।

  • आगे की जांच में यह देखा जाएगा कि कार्यक्रम में क्या-क्या हुआ, कितने समय से यह चलता आ रहा है, और क्या परिजनों को भुगतान या अन्य तरह का लालच दिया गया था।


कानून क्या कहता है

  • धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम की धारा 5(क) के तहत, किसी व्यक्ति को धर्म परिवर्तन कराने के लिए प्रलोभन देना या प्रलोभन द्वारा धर्म परिवर्तन कराना गैर-कानूनी है।

  • यदि बच्चों को ले जाने या धर्म परिवर्तन के लिए लालच देने का आरोप सिद्ध हुआ, तो आरोपी को कानूनन जिम्मेदार ठहराया जाएगा।

  • इस तरह के मामलों में बाल संरक्षण, अभिभावकों की सहमति, और संपूर्ण पारिवारिक स्थिति को ध्यान में रखा जाता है।


सामाजिक प्रतिक्रिया और चिंता

  • गांव-गाँव में लोगों में डर बढ़ गया है कि इस तरह की घटनाएँ जनजाति समुदायों में असुरक्षा की भावना बढ़ा रही हैं।

  • स्थानीय लोग कह रहे हैं कि साक्ष्य और वीडियो मौजूद होने के कारण पुलिस को जल्दी और निष्पक्ष रूप से कार्रवाई करनी चाहिए।

  • कई लोग मानते हैं कि शिक्षा और जागरूकता की कमी के कारण जनजाति समुदायों को इस तरह के प्रलोभन का शिकार बनाया जा रहा है।


संभावित आगे की स्थिति

  • पुलिस की जांच यह निर्धारित करेगी कि बच्चियों को लेकर जाने की अनुमति किसी से ली गई थी या नहीं, प्रलोभन के रूप में क्या-क्या व्यवहार हुआ।

  • यदि आरोपी दोषी पाए गए, तो न्यायालय में सजा हो सकती है जिसमें जेल की सजा और जुर्माना शामिल हो सकता है।

  • सामाजिक कार्यकर्ता और अधिकार संगठन इस घटना पर नजर बनाए हुए हैं कि मामले की सुनवाई पारदर्शी और समयबद्ध हो।


निष्कर्ष

मैनपाट का यह मामला इस बात का उदाहरण है कि कैसे संवेदनशील सामाजिक और धार्मिक विषयों पर बिना सूचना और अनुमति के निर्णय लिए जा सकते हैं। नाबालिगों के साथ जुड़ी ऐसी घटनाएँ सिर्फ़ कानूनी नहीं बल्कि नैतिक और सामाजिक उत्तरदायित्व का भी विषय हैं।

यह घटना हमें याद दिलाती है कि धर्मांतरण की कोशिशें यदि हों तो उन्हें पारदर्शिता, अभिभावक की सहमति और कानूनी मानदंडों के अधीन किया जाना चाहिए। न्याय प्रशासन को अपेक्षित है कि इस मामले को गहराई से जांचे और घटना में शामिल लोगों को जिम्मेदार ठहराए।

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