भूपेश को बीजेपी का निशाना: फोटो और वीडियो पोस्ट करके ट्रोलिंग का आरोप

भूपेश को बीजेपी का निशाना: फोटो और वीडियो पोस्ट करके ट्रोलिंग का आरोप

24, 9, 2025

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रायपुर में राजनीति का तापमान फिर एक बार बढ़ गया है। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस वक्त बीजेपी द्वारा सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग के निशाने पर हैं। आरोप है कि भाजपा समर्थक एवं सत्तारूढ़ दल के लोग उनके खिलाफ फोटो और वीडियो साझा कर रहे हैं, जिनमें उन्हें बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। इस पूरे प्रकरण ने एक राजनीतिक विवाद को जन्म दिया है, जिसमें दोनों पक्षों के बयान और प्रतिक्रिया आ चुकी है।


घटना और आरोप

भूपेश समर्थकों का दावा है कि इन दिनों भाजपा कार्यकर्ता और समर्थक सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर सक्रिय हैं। वे भूपेश को निशाना बनाने के लिए:

  • पुरानी तस्वीरों और वीडियो क्लिपों को तोड़मरोड़ कर प्रसारित कर रहे हैं

  • उन तस्वीरों और वीडियो को ऐसी टिप्पणी के साथ साझा कर रहे हैं कि जनता में उनका व्यक्तित्व बदल जाए

  • उन्हें अलग किस्म की छवि में पेश करने की कोशिश की जा रही है, विशेष रूप से आलोचनात्मक एवं मिथ्याप्रचार की शैली में

भूपेश समर्थकों का कहना है कि यह सब चुनावी रणनीति का हिस्सा है — विपक्षी दल उन्हें बदनाम करने के साधन के तौर पर मीडिया एवं सोशल मीडिया का उपयोग कर रहे हैं।


प्रतिक्रिया और बयान

भूपेश बघेल और कांग्रेस नेता इस कार्रवाई को "नियोजित प्रचार हमला" कह रहे हैं। उनका कहना है कि यह ट्रोलिंग नकारात्मक छवि निर्माण की कोशिश है, जिससे जनता की सोच प्रभावित हो सकती है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा जानबूझकर ऐसी सामग्री प्रसारित कर रही है, जो संदर्भों से बेधड़क बाहर ली गई हो और अर्थ बदल दिया गया हो।

भाजपा के किसी आधिकारिक नेता ने अभी तक इस आरोप पर विस्तृत बयान नहीं दिया है, लेकिन कुछ समर्थक इस कार्रवाई को “राजनीतिक विरोध” कहकर जायज़ ठहरा रहे हैं।


राजनीति और सोशल मीडिया का मेल

यह मामला एक सामान्य विवाद नहीं है — यह उस बड़ी प्रवृत्ति का हिस्सा है जिसमें राजनीति और सोशल मीडिया इस कदर घुलमिल गए हैं कि पार्टी विरोधी दलों को निशाना बनाने का हथियार बन चुके हैं।
सोशल मीडिया पर वायरल सामग्री, मैसेज सर्कुलेशन, स्क्रीनशॉट्स, कट-पेस्ट वीडियो — ये सब हथियार बन गए हैं। भाजपा या किसी भी राजनीतिक दल को यदि पता चले कि उन्हें कमजोर दिखाना है, तो ‘मीडिया ट्रोलिंग’ अब एक आम तरीका हो गया है।


संभावित असर और चुनौतियाँ

  • चुनावी माहौल में यह तरह की ट्रोलिंग जनता के विचारों पर प्रभाव डाल सकती है, सही और गलत की धारणा को धुंधला कर सकती है

  • यदि जनता आधारहीन या मुहरबंद प्रचार सामग्री को सच मान ले, तो लोकतंत्र की असली बहस दब सकती है

  • विपक्षी दलों को यह चुनौती है कि वह अपने पक्ष को साफ और सटीक तरीके से जनता के सामने रख सके, झूठी सूचना के मुकाबले

  • सूचना सत्यापन (fact check) और जवाबी रणनीति बनाना ज़रूरी हो गया है

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