शराब घोटाले में ईओडब्ल्यू कर रही है चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी की तैयारी

शराब घोटाले में ईओडब्ल्यू कर रही है चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी की तैयारी

24, 9, 2025

8

image

रायपुर में एक राजनीतिक और कानूनी ड्रामा फिर गरमाया है। छत्तीसगढ़ शराब घोटाले की जांच के बीच, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल अब ईकोनॉमिक ऑफेंस विंग (EOW) की गिरफ्तारी की तैयारी में है। माना जा रहा है कि उन्हें 6 अक्टूबर तक रिमांड पर लेने की प्रक्रिया चल रही है।

मामला क्या है?

छत्तीसगढ़ में पिछले कुछ समय से शराब घोटाले की जांच चल रही है। आरोप हैं कि इस घोटाले में एक बड़े नेटवर्क ने राज्य को करोड़ों का नुकसान पहुँचाया। चैतन्य बघेल इस मामले में कई आरोपों में नामजद किए गए हैं। ईडब्ल्यू ने पहले ही इस पूरे स्कैम की जांच के लिए चैतन्य का नाम सामने रखा है।

जब चैतन्य ने अपनी अग्रिम जमानत याचिका दायर की, तो उस याचिका को खारिज कर दिया गया। इसका मतलब है कि उन्हें अभी जमानत नहीं मिली है और अब ईओडब्ल्यू की ओर से जल्द उन्हें हिरासत में लेने की कार्रवाई संभव है।

कार्रवाई और कोर्ट फैसले

ईओडब्ल्यू ने चैतन्य को कस्टोडियल रिमांड पर लेने की बात कोर्ट में पेश की है। विशेष अदालत ने आज उन्हें पेश किया और उन्हें न्यायिक हिरासत में लेने का निर्णय लिया गया।
अब चैतन्य बघेल की ईओडब्ल्यू रिमांड 6 अक्टूबर तक तय की गई है। इस अवधि में उनसे पूछताछ और अन्य जांच कार्य होंगे।

हाई कोर्ट ने पहले ही चैतन्य की अग्रिम जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा है, जिससे उन्हें फिलहाल कोई राहत नहीं मिली। इसलिए, विशेष अदालत के फैसले और ईओडब्ल्यू की मांग दोनों मिलकर उन्हें हिरासत में रखना चाहते हैं।

आरोप और महत्व

घटाए गए आरोपों में निम्न बातें शामिल हो सकती हैं:

  • चैतन्य बघेल को उस शराब सिंडिकेट में भूमिका देना जिसमें अवैध कमिशन, ग़ैरकानूनी लेनदेन और मनी लॉन्ड्रिंग शामिल हैं

  • मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े अन्य मामलों में फाइनेंशियल ट्रांज़ेक्शन, संपत्ति हस्तांतरण और वित्तीय नेटवर्क

  • समूह के अन्य आरोपियों के साथ उसकी कथित मिलीभगत

इस स्कैम की जाँच में ईओडब्ल्यू पहले ही कई अन्य अधिकारियों और व्यक्तियों को भी शामिल कर चुकी है। इस तरह चैतन्य की गिरफ्तारी को इस पूरे मामले में एक मील का पत्थर माना जा रहा है।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ और प्रभाव

चैतन्य की गिरफ्तारी की तैयारी राजनीतिक माहौल को और गरमा सकती है।
— कांग्रेस दल इस कार्रवाई को राजनीतिक प्रतिशोध कह सकता है और उसे जनता के सामने मुद्दा बना सकता है।
— विपक्षी दल और बीजेपी इस मामले का राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर सकते हैं।
— राज्य और केंद्र की एजेंसियों की विश्वसनीयता और कार्रवाई की निष्पक्षता एक बड़ा सवाल बन सकती है।

संभावित चुनौतियाँ और कानूनी पहलू

  • रिमांड अवधि में पूछताछ के दौरान चैतन्य को कानूनी सुरक्षा देना होगा।

  • जांच एजेंसियों को ठोस सबूत पेश करना होगा — दस्तावेज, बैंक ट्रांज़ेक्शन, गवाह और ऑडिट सबूत इत्यादि।

  • चैतन्य की रक्षा पक्ष अदालत में आपत्तियाँ कर सकता है — प्रक्रिया की वैधता, अधिकारों का उल्लंघन आदि।

  • यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो जेल की अवधि, जुर्माना या अन्य दंड हो सकते हैं।

Powered by Froala Editor