भालू के हमले में घायल हुई 9 महीने की गर्भवती, ‘महतारी एक्सप्रेस’ में हुए प्रसव; मां-बच्चे दोनों सुरक्षित

भालू के हमले में घायल हुई 9 महीने की गर्भवती, ‘महतारी एक्सप्रेस’ में हुए प्रसव; मां-बच्चे दोनों सुरक्षित

11, 8, 2025

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अंबिकापुर। मनेंद्रगढ़ के ग्राम छिरछा निवासी 9 महीने की गर्भवती महिला शांति बाई पर खेत जाते समय भालू के हमले की घटना ने सबको हिला दिया। हमला इतना भयंकर था कि उसे चेहरे पर गंभीर चोटें आईं। इलाज के लिए रायपुर ले जाते समय महतारी एक्सप्रेस एंबुलेंस में ही उसने बच्चे को जन्म दे दिया। घटना मानवीय सेवा, साहस और ईएमटी कर्मचारियों के डेडिकेटेड काम का उदाहरण बन गई है।


घटना का पूरा विवरण

  • शांति बाई उम्र करीब 30 वर्ष है, और पति ब्रह्मानंद के साथ ग्राम छिरछा में रहती है। वह अपनी नौ महीने की गर्भावस्था के साथ खेत के कामों में जाती थीं।

  • घटना उसी की शाम की है, जब सुबह लगभग छह बजे खेत की ओर जाने के रास्ते में भालू ने उन पर हमला कर दिया। भालू ने उनके चेहरे से मांस नोचा, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हुईं।


प्राथमिक उपचार और रेफरल

  • हमले के बाद परिजनों ने तुरंत उन्हें मनेंद्रगढ़ अस्पताल पहुँचाया जहाँ प्राथमिक उपचार हुआ। किन्तु चेहरे की चोटों की गंभीरता और गर्भावस्था की अवस्था देखते हुए चिकित्सकों ने उन्हें प्लास्टिक सर्जरी के विशेषज्ञ उपचार के लिए रायपुर रेफर करने का निर्णय लिया।

  • महिला की हालत चिंताजनक थी, इसलिए “महतारी एक्सप्रेस” एंबुलेंस की व्यवस्था की गई।


एंबुलेंस में हुआ प्रसव

  • रास्ते में करीब शाम के 8:45 बजे जब एंबुलेंस रायपुर की ओर बढ़ रही थी, शांति बाई को प्रसव पीड़ा महसूस हुई।

  • एंबुलेंस के ईएमटी सत्येंद्र सिंह और पायलट खेलसाय ने ग्राम मड़ई के पास सड़कों किनारे वाहन रोका और रात लगभग 9:11 बजे उन्होंने प्रसव कराया। नवजात बच्चे को सुरक्षित जन्म मिला।


हालत वर्तमान की

  • बच्चा पूर्ण स्वस्थ है और मां की हालत स्थिर बनी हुई है। हालांकि मां को चेहरे की चोटों के कारण प्लास्टिक सर्जरी के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

  • चिकित्सकों ने बताया कि चेहरे की चोटों की वजह से चीख-चिल्लाहट, दर्द और अन्य चुनौतियाँ थीं, लेकिन प्रसव के समय स्थिति नियंत्रण में रही।


स्वजन और समाज की प्रतिक्रिया

  • परिजनों ने कहा कि महिला ने दर्द और भय के बीच भी घबराई नहीं। उनके आत्म-विश्वास और एंबुलेंस कर्मियों की तत्परता ने जीवन बचाया।

  • गांवों और आस-पास के इलकों में इस घटना की चर्चा हो रही है। लोगों ने ईएमटी और पायलट की बहादुरी की सराहना की है। कईयों ने कहा कि ऐसी सेवा और सजगता की ज़रूरत हर जगह हो।


प्रशासन की भूमिका और स्वास्थ्य तंत्र

  • स्वास्थ्य विभाग और आपातकालीन सेवाओं ने इस घटना को मानव सेवा की मिसाल बताया है।

  • अस्पताल प्रबंधकों ने कहा कि रेफरल सिस्टम, एंबुलेंस कर्मियों की तत्परता तथा समय पर निर्णय लेना इस तरह की मुसीबतों में बड़ा अंतर ला सकता है।

  • भविष्‍य में एंबुलेंस सेवाओं, स्वास्थ्य केंद्रों एवं प्राथमिक सुविधाओं को बेहतर बनाना होगा ताकि गांव-इलाकों में ऐसी आपात स्थितियों को संभाला जा सके।


कानूनी और सामाजिक आयाम

  • यह घटना सिर्फ एक मेडिकल या वन्यजीव संघर्ष नहीं है; यह महिला सुरक्षा, स्वास्थ्य अधिकार और ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं की बाध्यता को उजागर करती है।

  • वन विभाग से अपील की जा रही है कि गांवों के आस-पास वन्यजीव नियंत्रण उपाय किए जाएँ ताकि भालुओं और अन्य खतरों के हमले कम हों।

  • साथ ही ग्रामीण महिला स्वास्थ्य कार्यक्रम, एंबुलेंस नेटवर्क एवं आशाओं की सशक्तीकरण योजनाएँ जोर पकड़ रही हैं।


अंबिकापुर में शांति बाई की कहानी बताती है कि विपत्ति के पल में मानवीय सेवा, जीवन की लगन और आत्म-विश्वास कैसे काम आता है। भले ही भालू ने हमला किया हो और चोटें गहरी हों, लेकिन सही समय पर सहायता, प्रशिक्षित कर्मियों की तत्परता और अस्पताल प्रणाली की तैयारियाँ जीवन बचाने में निर्णायक साबित हुईं।

यह घटना यही संदेश देती है कि स्वास्थ्य सेवाएँ और आपातकालीन सुविधाएँ जितनी दूर-दराज इलाकों तक पहुँचेंगी, उतनी ही अधिक जानें बचेंगी।

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