रायपुर में ६ साल की बच्ची को अगरबत्ती से जलाने का आरोप — टीचर निलंबित, परिवार की मांग कार्रवाई की

रायपुर में ६ साल की बच्ची को अगरबत्ती से जलाने का आरोप — टीचर निलंबित, परिवार की मांग कार्रवाई की

24, 9, 2025

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रायपुर शहर में एक ऐसी घटना सामने आई है जिसने सबको झकझोर कर रख दिया। एक ६ वर्षीय बच्ची जिस स्कूल में पढ़ती थी, उस पर आरोप है कि उसकी संभवतः महिला टीचर ने अगरबत्ती (धूपstick) को उसकी त्वचा पर जला दिया। इस घटना से परिवार में आक्रोश है और स्थानीय समाज में सवाल खड़े हो गए हैं कि कैसे एक नन्हीं बच्ची को इस तरह पीड़ा दी जा सकती है।


घटना की प्रारंभिक जानकारी

— बच्चे के माता-पिता ने शिकायत दर्ज करवाई है कि स्कूल में पढ़ाते समय टीचर ने जानबूझकर यदिबत्ती की लौ को बच्ची की त्वचा पर लगा दिया। 
— बच्ची की त्वचा पर जलने के निशान पाए गए और परिवार ने आरोप लगाया कि यह हादसा नहीं बल्कि जानबूझकर किया गया कृत्य है। 
— इस घटना के बाद स्कूल प्रबंधन ने उस महिला टीचर को निलंबित कर दिया है। 
— परिवार की मांग है कि आरोपी टीचर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो और बच्ची को न्याय मिले। 


संभव कारण और सामाजिक प्रतिक्रिया

यह घटना न सिर्फ एक व्यक्तिगत त्रासदी है, बल्कि सूचनात्मक चेतना और सुरक्षा व्यवस्था पर प्रश्न भी खड़े करती है:

  1. अविश्वसनीय भरोसे का दुरुपयोग
    स्कूल में शिक्षक का बच्ची पर अत्याचार करना उस भरोसे को तोड़ता है जो परिवार और समाज ने स्कूल एवं शिक्षकों पर किया था।

  2. पौष्टिक देखभाल और सुरक्षा का अभाव
    यदि स्कूल की निगरानी और छात्रों की सुरक्षा के प्रोटोकॉल पुख्ता होते, तो ऐसी घटना संभवतः नहीं होती।

  3. सूचना और इसी तरह की घटनाओं का डर
    अक्सर ऐसे मामलों को दबाने या नजरअंदाज़ करने की प्रवृत्ति होती है, जिससे पीड़ित और परिवार चुप रहते हैं।

  4. तत्काल न्याय का दबाव
    परिवार और समाज दोनों चाहते हैं कि आरोपी के खिलाफ तुरंत कार्रवाई हो और भविष्य में इस तरह की घटनाएँ रोकी जाएँ।


कानूनी पहल और आगे की राह

  • पुलिस को मामले की गंभीरता से जांच करनी होगी—मेडिकल परीक्षण, बयान, घटना के समय का रिकॉर्ड और विद्यालय CCTV फुटेज आदि।

  • आरोपी टीचर के खिलाफ बाल अपराध, शारीरिक उत्पीड़न और बच्चों की सुरक्षा कानून के अंतर्गत सख्त आरोप लगाए जाएँ।

  • शिक्षा विभाग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि स्कूलों में बच्चों के साथ किसी भी प्रकार की दुर्व्यवहार की शिकायत तुरंत सुनी जाए और त्वरित कार्रवाई हो।

  • परिवार और बच्ची को उचित चिकित्सा और मनोवैज्ञानिक सहायता मिलनी चाहिए, ताकि वह घटना के बाद भय और दर्द से उबर सके।

  • समाज और मीडिया को इस घटना को दबाव बनाने के लिए इस्तेमाल करना चाहिए ताकि ऐसी घटनाओं पर जागरूकता बढ़े और अन्याय को दबने नहीं दिया जाए।

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