दुर्ग के गुटखा किंग की गिरफ्तारी: ₹10 करोड़ की टैक्स चोरी का खुलासा

दुर्ग के गुटखा किंग की गिरफ्तारी: ₹10 करोड़ की टैक्स चोरी का खुलासा

24, 9, 2025

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छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के चर्चित गुटखा कारोबारी गुरमुख जुमनानी को राज्य जीएसटी विभाग ने ₹10 करोड़ से अधिक की टैक्स चोरी के आरोप में गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी रायपुर से हुई, जहां वह लगभग एक महीने से फरार चल रहा था। इस कार्रवाई ने प्रदेश में अवैध गुटखा कारोबार के बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश किया है।

अवैध कारोबार का खुलासा

यह मामला तब सुर्खियों में आया जब दुर्ग के कोनारी वार्ड में एक तेल फैक्ट्री की आड़ में अवैध गुटखा निर्माण का खुलासा हुआ। छत्तीसगढ़ खाद्य एवं औषधि विभाग की टीम ने यहां दबिश देकर करोड़ों रुपए की सुपारी और अन्य सामग्री बरामद की। इसके बाद जीएसटी विभाग ने अपनी जांच तेज करते हुए गुरमुख जुमनानी के नेटवर्क पर नज़र रखनी शुरू कर दी। यह एक तरह की चेतावनी थी कि अब एजेंसियां बड़े स्तर पर कार्रवाई करेंगी।

छापेमारी और गिरफ्तारी

जांच में जुमनानी के ठिकानों की पहचान की गई, जिनमें गनियारी गांव स्थित उसकी गुटखा फैक्ट्री मुख्य थी। इस फैक्ट्री से बड़े पैमाने पर अवैध गुटखा का उत्पादन और व्यापार हो रहा था, जिससे सरकार को करोड़ों का राजस्व नुकसान हो रहा था। यह एक संगठित अपराध की तरह चल रहा था, जहां कच्चा माल बिना बिल के आता था और तैयार माल बिना इनवॉइस के बाजार में बेचा जाता था।

28 जून को स्टेट जीएसटी की विशेष टीम ने गनियारी स्थित सितारा गुटखा फैक्ट्री और राजनांदगांव जिले के खमतराई गांव में एक साथ छापामारी की थी। फिल्मी अंदाज़ में की गई इस कार्रवाई के दौरान फैक्ट्री से भारी मात्रा में गुटखा बनाने का कच्चा माल, पैकिंग रैपर, तैयार माल और मशीनें जब्त की गईं। शुरुआती साक्ष्य बताते हैं कि बिक्री में बड़े पैमाने पर टैक्स चोरी कर राजस्व को चपत लगाई जा रही थी।

टैक्स चोरी का तरीका

जुमनानी ने व्यवस्थित तरीके से कर चोरी की है। कच्चे माल, जैसे कि सुपारी और तंबाकू, को बिना किसी कानूनी बिल या चालान के खरीदते थे। इससे वे इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं लेते थे और खरीद पर लगने वाले जीएसटी से बचते थे। फैक्ट्री में गुटखा का उत्पादन गैर-कानूनी तरीके से होता था और इसका कोई भी रिकॉर्ड सरकार के पास नहीं होता था। तैयार माल को बाजार में बिना किसी बिल या इनवॉइस के बेचा जाता था। इससे जीएसटी का भुगतान करने से बचा जाता था। जांच में यह भी पता चला है कि जुमनानी ने कुछ नकली कंपनियां भी बनाई थीं, जिनके माध्यम से वह कागज़ों पर लेन-देन दिखाता था, लेकिन असली व्यापार अवैध रूप से होता था।

गिरफ्तारी और आगे की कार्रवाई

छापेमारी के तुरंत बाद से ही गुरमुख जुमनानी फरार हो गया था। राज्य जीएसटी की टीम उसकी गतिविधियों पर लगातार नजर रखे हुए थी। उन्होंने रायपुर और अन्य संभावित ठिकानों पर उसकी तलाश की। आखिरकार, एक महीने की लंबी खोजबीन के बाद उसे रायपुर से गिरफ्तार कर लिया गया। यह गिरफ्तारी जीएसटी विभाग के लिए एक बड़ी सफलता है।

गिरफ्तारी के बाद जुमनानी से लगातार पूछताछ की जा रही है। शुरुआती पूछताछ में उसने कुछ अन्य सहयोगियों के नाम भी बताए हैं, जो इस अवैध कारोबार में शामिल थे। जांच एजेंसियां अब उन ठिकानों और सहयोगियों पर भी कार्रवाई की तैयारी में हैं, जिससे इस पूरे नेटवर्क को जड़ से खत्म किया जा सके।

निष्कर्ष

यह मामला दिखाता है कि कैसे अवैध कारोबार और टैक्स चोरी के बड़े नेटवर्क राज्य की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचा सकते हैं। जीएसटी विभाग की इस कार्रवाई से यह संदेश जाता है कि सरकार ऐसे अपराधों के खिलाफ सख्त है और किसी भी अपराधी को बख्शा नहीं जाएगा। अब यह देखना होगा कि आगे की जांच में और कौन-कौन से राज सामने आते हैं और इस पूरे नेटवर्क को कैसे खत्म किया जाता है।

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