छत्तीसगढ़ में पिछले तीन महीनों से लगभग ५०,००० महिलाओं को जननी सुरक्षा योजना (JSY) के तहत मिलने वाली सहायता राशि नहीं मिल पाई है।

छत्तीसगढ़ में पिछले तीन महीनों से लगभग ५०,००० महिलाओं को जननी सुरक्षा योजना (JSY) के तहत मिलने वाली सहायता राशि नहीं मिल पाई है।

24, 9, 2025

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छत्तीसगढ़ में पिछले तीन महीनों से लगभग ५०,००० महिलाओं को जननी सुरक्षा योजना (JSY) के तहत मिलने वाली सहायता राशि नहीं मिल पाई है। इस देरी ने उन महिलाओं और उनके परिवारों को आर्थिक और मानसिक तौर पर झकझोर दिया है, जो इस राशि पर निर्भर थीं।

योजना क्या है और उसका उद्देश्य

जननी सुरक्षा योजना (JSY) का मकसद गर्भवती महिलाओं को संस्थागत प्रसव की ओर प्रेरित करना है ताकि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर कम हो सके। योजना के तहत, प्रसव के बाद कुछ आर्थिक सहायता राशि सीधे महिला के बैंक खाते में दी जाती है, जिससे वह दवाइयों, पोषण और अन्य आवश्यक खर्चों को पूरा कर सके। योजना के तहत ग्रामीण महिलाओं को आमतौर पर 1,400 रुपये, जबकि शहरी महिलाओं को 1,000 रुपये तक की राशि मिलती है। 

सामान्यतः, प्रसव होने के बाद 7 दिनों के भीतर यह राशि महिला के खाते में पहुंच जानी चाहिए।

किस प्रकार देरी हो रही है?

मामले की रिपोर्ट के अनुसार:

  • प्रदेश सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 में JSY के लिए लगभग ₹55.85 करोड़ का बजट मंजूर किया, ताकि यह योजना सुचारु रूप से चल सके। 

  • अप्रैल से अगस्त तक प्रदेश में लगभग 1.47 लाख प्रसव हो चुके हैं, लेकिन इनमें से करीब 50,000 महिलाओं को अभी तक सहायता राशि नहीं मिली है। 

  • रायपुर जिले में मात्र तीन माह में लगभग 6,200 प्रसव हुए, लेकिन उनमें से लगभग 2,200 महिलाओं को राशि नहीं मिल पाई; वे बैंक व अस्पतालों के चक्कर काट रही हैं। 

जिला अधिकारी दावा करते हैं कि उन्होंने भुगतान की “डिमांड” राज्य स्तरीय अधिकारीयों तक पहुंचा दी है, लेकिन भुगतान से संबंधित फाइलें उसी मंत्रालय में अटकी पड़ी हैं। इसका परिणाम यह हुआ कि धन केंद्र से राज्य सरकार तक आ गया, लेकिन महिलाओं तक नहीं पहुँच पाया। 

प्रभावित महिलाओं की मुश्किलें

  • ग्रामीण और कमजोर वर्ग की महिलाएं जिन्हें इस राशि पर भरोसा था, उन्हें अपनी दवाइयाँ, पोषण व नवजात की देखभाल के खर्चों के लिए उधार लेना पड़ रहा है।

  • कई महिलाओं को अस्पतालों और बैंक शाखाओं के चक्कर काटने पड़ रहे हैं, लेकिन हर जगह उन्हें सिर्फ ‘राशि जारी नहीं हुई’ का ही जवाब मिलता है।

  • एक आदिवासी महिला (उदाहरण स्वरूप) ने बताया कि उसने आश्वासन सुना कि सात दिनों में राशि खाते में आ जाएगी, लेकिन अब तीन महीने हो गए और अभी तक राशि नहीं मिली।

  • एक और महिला कहती हैं कि उन्हें मितानिन ने कहा था कि सरकार मदद करेगी, लेकिन अब तक एक रुपया भी नहीं आया।

सरकार की स्थिति और प्रतिक्रिया

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि वह इस देरी का कारण स्वयं देखेंगे और जल्द ही राशि जारी करने का निर्देश देंगे। 

विश्लेषकों का मानना है कि यह देरी योजनाओं की अधूरी कार्यान्वयन और फंड प्रवाह में अड़चनों का परिणाम है। यदि इस समस्या को शीघ्रता से हल नहीं किया गया, तो JSY की असल भावना — मातृत्व सुरक्षा सुनिश्चित करना — खतरे में आ सकती है।

इसके अलावा, विशेषज्ञों का तर्क है कि यह समस्या सिर्फ छत्तीसगढ़ तक सीमित नहीं है — अन्य राज्यों में भी कभी-कभी इस तरह की देरी देखने को मिलती है, जहाँ फाइलें, कार्यालय प्रक्रियाएं और संसाधन बाधाएँ योजनाओं की गति को प्रभावित करती हैं।

संभावित सुधार और उपाय

  • फंड और फाइलों का ट्रैकिंग सिस्टम: यह सुनिश्चित करना होगा कि राज्य स्तर पर भेजी गई डिमांड फाइलें मंत्रालय द्वारा त्वरित सत्यापन और भुगतान प्रक्रिया में जाएँ।

  • स्वचालित भुगतान प्रणाली: जैसे ही प्रसव दर्ज हो, सहायता राशि ऑटोमैटिक रूप से जारी हो, ताकि लंबे समय तक देरी न हो।

  • सरकारी जवाबदेही बढ़ाना: यदि राशि तय समय में नहीं पहुँचती, तो जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्यवाही हो।

  • समयबद्ध समीक्षा और रिपोर्टिंग: प्रत्येक माह की रिपोर्ट सार्वजनिक होनी चाहिए कि कितनी राशि जारी हुई और कितनी लंबित है।

  • संचार एवं जागरूकता बढ़ाना: महिलाओं को यह जानकारी हो कि उनसे क्या अपेक्षा है, किस समय उन्हें राशि मिलेगी और अगर न मिले कैसे शिकायत करें।

निष्कर्ष

छत्तीसगढ़ में JSY की राशि न मिलने की यह समस्या गरीब और ग्रामीण महिलाओं के लिए एक गंभीर संकट बन गई है। यह केवल एक आर्थिक परेशानी नहीं है — यह उस भरोसे का भी टूटना है जो सरकारी कल्याण योजनाओं पर जनता करती है। यदि इस समस्या को तत्काल नहीं हल किया गया, तो JSY की मूल अवधारणा — सुरक्षित मातृत्व और नवजात बचाव — ही खो सकती है।

लेकिन सुधार की दिशा में पहल शुरू हो चुकी है। यदि राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग मिलकर काम करें और पारदर्शी, समयबद्ध प्रणाली लागू करें, तो यह व्यवस्था फिर भरोसेमंद बन सकती है।

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