सौम्या चौरसिया कौन हैं और कोल लेवी घोटाले में उनका नाम क्यों आया?

सौम्या चौरसिया कौन हैं और कोल लेवी घोटाले में उनका नाम क्यों आया?

24, 9, 2025

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छत्तीसगढ़ में कोल लेवी (कोयला शुल्क) घोटाले की जांच ने एक बार फिर सौम्या चौरसिया को सुर्खियों में ला दिया है। वे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के समय मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) में उप सचिव (Deputy Secretary) थीं और अब उन पर गंभीर भ्रष्टाचार और धनशोधन के आरोप लगे हैं।

प्रारंभिक पृष्ठभूमि

सौम्या चौरसिया 2008-बैच की राज्य प्रशासन सेवा अधिकारी हैं। उनके कैरियर की शुरुआत SDM पद से हुई थी। बाद में उन्हें विभिन्न जिलों में प्रशासनिक जिम्मेदारियाँ दी गईं, जैसे पाटन, बिलासपुर आदि। अगले समय में, जब भूपेश बघेल कांग्रेस की सरकार बनी, तो उन्हें मुख्यमंत्री की उप सचिव बनाया गया — और माना जाता है कि इस दौरान उनका प्रशासन में प्रभाव बहुत बढ़ गया। (सूचना: नईदुनिया रिपोर्ट) 

उप सचिव बनने के बाद वे इतनी शक्तिशाली हुईं कि उन्हें कभी-कभी “सुपर सीएम” तक कहा जाने लगा — क्योंकि कहा जाता है कि उनके निर्णयों का असर सचिवालय व कार्यपालिका दोनों पर तेजी से दिखने लगा। 

आरोप और जांच

उन पर आरोप है कि उन्होंने कोल लेवी घोटाले में भ्रष्ट मार्ग अपनाए — कोयला परिवहन कंपनियों और ट्रकों से अवैध शुल्क वसूली की गई और यह राशि अन्य स्रोतों में निवेश की गई।

ED (Enforcement Directorate) ने दिसंबर 2022 में उन्हें गिरफ्तार किया था। उस समय कहा गया था कि घोटाले की जाँच में उन्हें धनशोधन के संबंध में शामिल पाया गया। 

हाल ही में EOW (Economic Offences Wing) ने सौम्या चौरसिया की 16 अचल संपत्तियों को कुर्क करने का आदेश लिया है। ये संपत्तियाँ विभिन्न जिलों में फैली हुई हैं और आरोप है कि ये बेनामी नामों पर खरीदी गई थीं। 

रिपोर्टों के अनुसार, उन्होंने और उनके सहयोगियों ने लगभग 45 संपत्तियाँ, जिनकी अनुमानित कीमत लगभग ₹47 करोड़ है, अर्जित की हैं — जबकि उनका कानूनी आय स्रोत वेतन व भत्तों मिलाकर तकरीबन ₹85.5 लाख था। 

न्यायालय हलचल

  • विशेष अदालत (PC Act के अंतर्गत) ने 22 सितंबर को कुर्की का अंतरिम आदेश जारी किया। 

  • पहले ही ED ने 29 संपत्तियाँ कुर्क की थीं, जिनकी कीमत लगभग ₹39 करोड़ थी। अब EOW ने बाकी 16 की कार्यवाही की है। 

  • सुप्रीम कोर्ट ने कभी गैर जमानत देकर कहा था कि चौरसिया धनशोधन में प्रारंभिक रूप से संलिप्त हैं। 

राजनीतिक और सामाजिक अर्थ

इन आरोपों और कुर्की कार्यवाहियों ने छत्तीसगढ़ की राजनीति में हलचल मचा दी है। कांग्रेस सरकार को इसका विरोध करना पड़ा, और विपक्ष ने इसे भ्रष्टाचार की एक चौंकाने वाली घटना कहा।

इसके साथ ही यह मामला यह दिखाता है कि कैसे प्रशासनिक अधिकारियों का प्रभाव और शक्ति उनके दायित्वों के साथ जुड़ी जवाबदेही में तनाव ला सकती है।

निष्कर्ष

सौम्या चौरसिया का नाम कोल लेवी घोटाले में जुड़ने से यह मामला सिर्फ एक भ्रष्टाचार केस नहीं रह गया है — यह इस बात की परीक्षा है कि किस तरह सत्ता, प्रशासन और कानून की सीमाएं जुटे हुए हैं। कुर्की की कार्रवाई, न्यायालयीन दबाव और आगे की जांच यह तय करेगी कि वे वास्तव में दोषी पाई जाएँगी या नहीं।

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