छत्तीसगढ़ के ८ वैज्ञानिकों का विश्व स्तर पर सम्मान: स्टैनफोर्ड-एल्सेवियर की “टॉप २%” सूची में शामिल

छत्तीसगढ़ के ८ वैज्ञानिकों का विश्व स्तर पर सम्मान: स्टैनफोर्ड-एल्सेवियर की “टॉप २%” सूची में शामिल

24, 9, 2025

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छत्तीसगढ़ के वैज्ञानिकों ने वैश्विक शोध जगत में अपनी पहचान बनाई है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और एल्सेवियर द्वारा प्रकाशित विश्व के शीर्ष २ प्रतिशत वैज्ञानिकों की प्रतिष्ठित सूची में छत्तीसगढ़ से कुल ८ वैज्ञानिकों का नाम शामिल किया गया है।

कौन-कौन हैं वो वैज्ञानिक?

इन आठ वैज्ञानिकों में सबसे अधिक पं. रविशंकर शुक्ला विश्वविद्यालय (PRSU), रायपुर के छह प्राध्यापकों को स्थान मिला है। इसके अतिरिक्त, एक वैज्ञानिक बलरामपुर जिले के हैं — डॉ. सचिन गुप्ता — और एक नाम कोलंबिया इंस्टीट्यूट की डॉ. बीना का है, जिनका चयन चौथी बार हुआ है।

PRSU में शामिल प्रोफेसरों में फार्मेसी विभाग के पांच और रसायन शास्त्र विभाग के एक प्रोफ़ेसर शामिल हैं।

यह सूची क्या है और इसका महत्व

स्टैनफोर्ड-एल्सेवियर की यह सूची उन वैज्ञानिकों को चिन्हित करती है जो अपने क्षेत्र में शीर्ष २ प्रतिशत में माने जाते हैं। इस चयन में शोध की मात्रा, उद्धरण (citations), शोध पत्रों का प्रभाव और अन्य संकेतक शामिल होते हैं।

इसमें नामित होना यह दर्शाता है कि ये वैज्ञानिक न सिर्फ क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।

डॉ. सचिन गुप्ता की कहानी

बलरामपुर जिले के एक छोटे गांव से आए डॉ. सचिन गुप्ता ने यह सफलता हासिल की है। वैज्ञानिक क्षेत्र में उनका योगदान सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT), नेटवर्किंग और दूरसंचार विषयों में माना जाता है।
वर्तमान में वे इसरो-केंद्रित अनुसंधान संस्थान में रिसर्च प्रोफेसर और वैज्ञानिक के रूप में कार्यरत हैं।

पीआरएसयू के छह प्रोफेसर — नाम और विभाग

PRSU से चयनित छह प्रोफेसरों में निम्नलिखित नाम शामिल हैं:

  • प्रो. शैलेन्द्र साराफ

  • प्रो. स्वर्णलता साराफ

  • प्रो. मंजू सिंह

  • प्रो. दीपेंद्र सिंह

  • प्रो. अंबर व्यास

  • प्रो. कमलेश श्रीवास

पहले पाँच प्रोफेसर फार्मेसी विभाग से हैं, जबकि प्रो. कमलेश श्रीवास रसायन विभाग से हैं।

कैसे हुआ चयन?

इस सूची का चयन एक बड़े डेटाबेस और विश्लेषण पर आधारित है जिसमें दुनिया भर के वैज्ञानिकों के शोध, उद्धरण और अन्य मानदंडों की तुलना की जाती है।

शोध और उद्धरणों की संख्या, सहलेखकता, लेखों का गुणवत्ता स्तर, और शोध का दीर्घकालीन प्रभाव — ये सभी कारक इस चयन में शामिल होते हैं।

क्या यह पहली बार है?

विशेष रूप से, डॉ. बीना का नाम चौथी बार इस सूची में शामिल हुआ है, जो यह दर्शाता है कि उन्होंने लगातार उच्च स्तर की शोध गतिविधियों को बनाए रखा है।

मगर PRSU के लिये यह एक विशेष उपलब्धि है कि विश्वविद्यालय से इतने वैज्ञानिकों को इस वैश्विक सूची में लाया गया है — इससे विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा बढ़ेगी।

छत्तीसगढ़ और शोध क्षेत्र में प्रभाव

  • यह उपलब्धि राज्य में शोध एवं शिक्षा की दिशा को प्रोत्साहन देगी।

  • छात्रों और युवा शोधकर्ताओं को प्रेरणा मिलेगी कि वे भी उच्च गुणवत्ता की शोध करें।

  • विश्वविद्यालयों में संसाधन और समर्थन बढ़ने की संभावना है।

  • राज्य की शैक्षणिक छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूती मिलेगी।

निष्कर्ष

छत्तीसगढ़ के ८ वैज्ञानिकों का स्टैनफोर्ड-एल्सेवियर की शीर्ष २% सूची में जगह बनाना सिर्फ व्यक्तिगत सफलता नहीं है — यह राज्य और भारत के विज्ञान जगत के लिए गर्व की बात है।

यह दिखाता है कि सीमित संसाधनों और चुनौतियों के बावजूद, उत्कृष्ट शोध संभव है। यदि इस तरह की सफलता को सरकारी, शैक्षणिक और सामाजिक समर्थन मिले, तो और भी कई शोधकर्ता इसी तरह से विश्व स्तर पर छा सकते हैं।

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