हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध लेखक और कवि विनोद कुमार शुक्ल को उनके अद्वितीय योगदान के लिए 'गोदरेज लिटरेचर लाइव! लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड' से सम्मानित किया गया है।

हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध लेखक और कवि विनोद कुमार शुक्ल को उनके अद्वितीय योगदान के लिए 'गोदरेज लिटरेचर लाइव! लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड' से सम्मानित किया गया है।

24, 9, 2025

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हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध लेखक और कवि विनोद कुमार शुक्ल को उनके अद्वितीय योगदान के लिए 'गोदरेज लिटरेचर लाइव! लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड' से सम्मानित किया गया है। उन्हें यह प्रतिष्ठित पुरस्कार 16वें 'लिटरेचर लाइव! मुंबई लिटफेस्ट 2025' में प्रदान किया जाएगा। यह सम्मान उन्हें उनकी विशिष्ट 'जादुई यथार्थवादी' लेखन शैली के लिए दिया गया है। उनकी प्रमुख रचनाओं में 'नौकर की कमीज़' और 'दीवार में एक खिड़की रहती थी' शामिल हैं, जो साहित्य जगत में अत्यधिक सराही गई हैं।

विनोद कुमार शुक्ल का साहित्यिक सफर कई महत्वपूर्ण पुरस्कारों से सजा है। 1999 में उन्हें 'दीवार में एक खिड़की रहती थी' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ। 2023 में वे भारत के पहले लेखक बने, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय पेन नबोकोव अवार्ड मिला। 2024 में उन्हें छत्तीसगढ़ के पहले लेखक के रूप में 59वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया।

हाल ही में, हिंद-युग्म प्रकाशन ने उनकी पुस्तकों की छह महीने में 30 लाख रुपये की रॉयल्टी की घोषणा की, जो हिंदी साहित्य में एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती है। अवार्ड स्वीकार करते हुए शुक्ल ने कहा, "लेखन अपनी आवाज़ ढूंढने का सफर है, जो कविता से शुरू होकर कविता पर खत्म होता है।"

विनोद कुमार शुक्ल की लेखन शैली में जादुई यथार्थवाद की विशेषता है, जो साधारण घटनाओं और पात्रों के माध्यम से गहरी और सार्थक बातें कहने की क्षमता रखती है। उनकी रचनाएँ मानवीय संवेदनाओं, अस्तित्ववादी प्रश्नों और सामाजिक संरचनाओं को सहज लेकिन गहरे तरीके से प्रस्तुत करती हैं।

उनके इस सम्मान से न केवल हिंदी साहित्य को गौरव प्राप्त हुआ है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ राज्य के साहित्यिक परिदृश्य को भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाने में सहायक सिद्ध हुआ है।

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