रायपुर, 23 सितंबर 2025: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में आरोपी 28 अधिकारियों को मंगलवार को EOW की विशेष अदालत में पेश किया गया।

रायपुर, 23 सितंबर 2025: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में आरोपी 28 अधिकारियों को मंगलवार को EOW की विशेष अदालत में पेश किया गया।

24, 9, 2025

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रायपुर। छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित शराब घोटाले में मंगलवार को कुल 28 अधिकारियों को EOW (Economic Offences Wing) की विशेष अदालत में पेश किया गया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सभी आरोपियों को अग्रिम जमानत (anticipatory bail) की मंजूरी दे दी है, जिससे वे गिरफ्तारी से पहले ही सुरक्षित रह सकें।

अदालत में आरोपियों ने 1-1 लाख रुपये के जमानत पट्टे जमा कर जमानत हासिल की। इस मामले में EOW और अन्य जांच एजेंसियाँ लगातार सक्रिय हैं और आरोपियों के संबंध में सभी आवश्यक दस्तावेजों और सबूतों का अध्ययन कर रही हैं।


घोटाले का संक्षिप्त विवरण

यह घोटाला 2019 से 2022 के बीच हुआ, जब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस शासन में शराब बिक्री और लाइसेंस वितरण के मामले में अनियमितताएँ सामने आईं।

  • राज्य में लाइसेंसी शराब दुकानों पर डुप्लिकेट होलोग्राम लगाकर अवैध शराब बेची जा रही थी।

  • इसके कारण राज्य को करोड़ों रुपये का राजस्व नुकसान हुआ।

  • इस घोटाले में उत्तर प्रदेश की नोएडा स्थित कंपनी ‘प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड’ को टेंडर दिया गया था, जबकि कंपनी नियमों के अनुसार पात्र नहीं थी।

  • टेंडर दिलाने के एवज में कंपनी के मालिक विधु गुप्ता ने भारी कमीशन का भुगतान किया।

EOW की प्रारंभिक जांच में पाया गया कि इस घोटाले के पीछे कई वरिष्ठ अधिकारियों और प्रशासनिक अधिकारियों का हाथ था, जिन्होंने नियमों की अनदेखी करते हुए कंपनी को टेंडर दिलाया।


गिरफ्तार और आरोपी अधिकारियों का विवरण

घोटाले में शामिल प्रमुख नाम इस प्रकार हैं:

  • अरुणपति त्रिपाठी, सीएसएमसीएल के एमडी

  • अनवर ढेबर, होटल उद्योग से जुड़े कारोबारी

  • अनिल टुटेजा, पूर्व IAS अधिकारी

  • इसके अलावा 25 अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों को भी इस मामले में शामिल माना गया है।

EOW के अनुसार, ये सभी व्यक्ति शराब लाइसेंस वितरण और डुप्लिकेट होलोग्राम लगाने के लिए जिम्मेदार थे। इनके खिलाफ आर्थिक अपराध और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए गए हैं।


सुप्रीम कोर्ट की भूमिका

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अग्रिम जमानत की मंजूरी देते हुए सभी आरोपियों को अदालत में पेश होने से पहले सुरक्षा प्रदान की। कोर्ट ने कहा कि जमानत सुनिश्चित करती है कि जांच प्रक्रिया बिना किसी अवरोध के पूरी हो सके, जबकि आरोपी न्यायिक प्रक्रिया के तहत पेशी में शामिल होंगे।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पहले, कुछ आरोपियों ने डर के कारण स्वयं को सार्वजनिक रूप से पेश नहीं किया था। अब यह आदेश उनके लिए राहत लेकर आया है।


जांच की वर्तमान स्थिति

EOW ने पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक रिपोर्ट में कई वित्तीय दस्तावेज, टेंडर प्रक्रिया और अधिकारियों की गतिविधियों के प्रमाण शामिल किए गए हैं।

  • जांच में यह पता लगाया जा रहा है कि किन अधिकारियों ने कंपनी को टेंडर दिलाया।

  • कौन-कौन सी राशि अवैध तरीके से वसूली गई।

  • किस तरह से शराब की बिक्री से होने वाली आमदनी राज्य खजाने में नहीं गई।

इस घोटाले को छत्तीसगढ़ के बड़े आर्थिक घोटालों में गिना जा रहा है। राज्य में जनता और मीडिया भी इस मामले पर लगातार निगरानी रख रहे हैं।


सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव

छत्तीसगढ़ में इस घोटाले की खबर के बाद राजनीतिक हलचल बढ़ गई है। विपक्षी दलों ने इसे राज्य में भ्रष्टाचार की सबसे बड़ी घटना बताया है और सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की है।

सरकार ने मामले की गंभीरता को स्वीकार करते हुए कहा कि सभी दोषियों को कानून के अनुसार दंडित किया जाएगा।

मीडिया और सामाजिक मंचों पर इस मामले की चर्चा ने जनता में चिंता पैदा कर दी है। कई लोगों ने ईमानदार प्रशासन और पारदर्शी जांच की आवश्यकता पर जोर दिया है।


आगे की संभावित कार्रवाई

EOW अब इस घोटाले के सभी पहलुओं की गहन जांच कर रही है। जांच एजेंसियाँ:

  • सभी आरोपियों और गवाहों से पूछताछ करेंगी।

  • वित्तीय लेनदेन का विश्लेषण करेंगी।

  • संबंधित दस्तावेजों की सत्यता की जांच करेंगी।

जांच पूरी होने के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि इस घोटाले में कितने लोग सीधे शामिल थे और उन्हें कानूनी दंड मिलना चाहिए।


निष्कर्ष

छत्तीसगढ़ का यह शराब घोटाला राज्य के सबसे बड़े आर्थिक मामलों में से एक है। 28 अधिकारियों की EOW में पेशी और सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई अग्रिम जमानत ने जांच की प्रक्रिया को सुचारू बनाया है।

जांच के आगे के परिणाम और कोर्ट के निर्णय से यह स्पष्ट होगा कि इस मामले में दोषियों के खिलाफ किस प्रकार की कार्रवाई होगी और राज्य में भ्रष्टाचार के खिलाफ कितनी सख्ती दिखाई जाएगी।

यह मामला दर्शाता है कि उच्च स्तर पर भ्रष्टाचार और सरकारी आदेशों की अनियमितता राज्य की वित्तीय स्थिरता और प्रशासनिक पारदर्शिता को प्रभावित कर सकती है।

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