हिंदी साहित्य जगत के प्रतिष्ठित लेखक विनोद कुमार शुक्ल को उनके प्रकाशक 'हिंद युग्म' द्वारा मात्र छह महीनों में ₹30 लाख की रॉयल्टी प्रदान की गई है।

हिंदी साहित्य जगत के प्रतिष्ठित लेखक विनोद कुमार शुक्ल को उनके प्रकाशक 'हिंद युग्म' द्वारा मात्र छह महीनों में ₹30 लाख की रॉयल्टी प्रदान की गई है।

24, 9, 2025

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रायपुर, 22 सितंबर 2025: हिंदी साहित्य जगत के प्रतिष्ठित लेखक विनोद कुमार शुक्ल को उनके प्रकाशक 'हिंद युग्म' द्वारा मात्र छह महीनों में ₹30 लाख की रॉयल्टी प्रदान की गई है। यह राशि उनके उपन्यास 'दीवार में एक खिड़की रहती थी' की अभूतपूर्व बिक्री का परिणाम है। यह घटना हिंदी साहित्य में पुस्तक बिक्री की नई संभावनाओं को उजागर करती है।

📚 रॉयल्टी का आंकड़ा और प्रकाशक की प्रतिक्रिया

हिंद युग्म के संस्थापक और संपादक शैलेश भारतवासी ने इस सफलता का पूरा श्रेय विनोद कुमार शुक्ल के लेखन को दिया। उन्होंने कहा, "जब किसी लेखक की रचनाएँ पाठकों के मन-मस्तिष्क को छूती हैं, तो उसका चमत्कार तेजी से फैलता है।" शैलेश ने यह भी माना कि हिंदी किताबों की बिक्री हमेशा चुनौती रही है, इसलिए लाखों की रॉयल्टी पर लोगों में संशय स्वाभाविक है।

📈 पुस्तक बिक्री की सफलता

शैलेश ने स्पष्ट किया कि रॉयल्टी चैरिटी नहीं बल्कि पुस्तकों की बिक्री से सीधे जुड़ी है। उन्होंने बताया कि हिंद युग्म के कई लेखक लखपति हैं, जिनकी किताबें एक लाख से अधिक प्रतियों में बिक चुकी हैं। विनोद कुमार शुक्ल की सफलता खास इसलिए है क्योंकि इतने कम समय में इतनी बड़ी रॉयल्टी किसी पुराने हिंदी लेखक को नहीं मिली।

💡 हिंदी साहित्य में नई दिशा

शैलेश ने इस घटना को हिंदी साहित्य के लिए सुखद बताया और कहा कि यह पिछले एक दशक से चल रहे 'नई वाली हिंदी' आंदोलन का नतीजा है। उनके अनुसार, आज उत्तर भारत में अंग्रेजी पढ़ना नहीं बल्कि हिंदी पढ़ना 'कूल' है। उन्होंने डिजिटल माध्यमों की भूमिका पर कहा कि हिंद युग्म की शुरुआत ही डिजिटल प्लेटफॉर्म से हुई थी और यही वजह है कि वह 15 वर्षों में शून्य से यहाँ तक पहुँचे।

📝 लेखक के दृष्टिकोण

विनोद कुमार शुक्ल ने अपनी रचनाओं के माध्यम से मानवीय संवेदनाओं और समाज की जटिलताओं को सरलता से प्रस्तुत किया है। उनकी लेखनी में गहरी सोच और सहजता का अद्भुत संयोजन है, जो पाठकों को आकर्षित करता है। 'दीवार में एक खिड़की रहती थी' उनकी ऐसी ही एक कृति है, जो पाठकों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय हुई है।

📚 निष्कर्ष

विनोद कुमार शुक्ल की इस सफलता ने यह सिद्ध कर दिया है कि अच्छा लेखन न केवल साहित्यिक सम्मान दिलाता है, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी लेखक को सशक्त बना सकता है। यह घटना हिंदी साहित्य के भविष्य के लिए प्रेरणादायक है और यह दर्शाती है कि पाठकों की रुचि और डिजिटल प्लेटफॉर्म की सहायता से हिंदी किताबें भी व्यावसायिक सफलता प्राप्त कर सकती हैं।

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