छत्तीसगढ़ में दिव्यांगों के कल्याण के नाम पर ₹1,000 करोड़ के घोटाले का मामला सामने आया है,

छत्तीसगढ़ में दिव्यांगों के कल्याण के नाम पर ₹1,000 करोड़ के घोटाले का मामला सामने आया है,

24, 9, 2025

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छत्तीसगढ़ में दिव्यांगों के नाम पर किए गए ₹1000 करोड़ के घोटाले ने राज्य की प्रशासनिक और राजनीतिक व्यवस्था को हिला कर रख दिया है। इस मामले में पूर्व मंत्री, सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी और अन्य सरकारी कर्मचारी शामिल हैं, जिन्होंने सरकारी धन का गबन किया।


घोटाले का खुलासा

यह घोटाला राज्य के सामाजिक कल्याण विभाग के तहत स्थापित राज्य संसाधन केंद्र (SRC) और शारीरिक पुनर्वास केंद्र (PRRC) से जुड़ा हुआ है। इन संस्थाओं का उद्देश्य दिव्यांग व्यक्तियों के कल्याण और पुनर्वास के लिए कार्य करना था। हालांकि, जांच में सामने आया कि इन संस्थाओं के नाम पर सरकारी धन का गबन किया गया।


गबन की प्रक्रिया

जांच में यह पाया गया कि फर्जी वेतन, नकली खरीददारी और गैर-मौजूद सुविधाओं के नाम पर सरकारी धन निकाला गया। इसके लिए फर्जी बिल, नकली लेजर और मस्टर रोल का उपयोग किया गया। इसके अलावा, कई एनजीओ के नाम पर भी धन निकाला गया, जो वास्तव में अस्तित्व में नहीं थे। इस प्रकार, लगभग एक दशक के दौरान ₹1000 करोड़ से अधिक की राशि का गबन किया गया।


उच्च न्यायालय का आदेश

इस मामले की गंभीरता को देखते हुए छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने सीबीआई को जांच के आदेश दिए। कोर्ट ने इसे केवल प्रशासनिक चूक नहीं, बल्कि सुनियोजित भ्रष्टाचार करार दिया। इस आदेश के बाद, सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज की और जांच शुरू की।


राजनीतिक और प्रशासनिक प्रतिक्रिया

इस घोटाले के उजागर होने के बाद, राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की। हालांकि, उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार की याचिका खारिज कर दी। इस मामले में कई सेवानिवृत्त और वर्तमान आईएएस अधिकारियों को आरोपी बनाया गया है, जिनमें दो पूर्व मुख्य सचिव भी शामिल हैं।


भ्रष्टाचार के संकेत

यह घोटाला केवल एक वित्तीय अनियमितता नहीं, बल्कि राज्य की सरकारी मशीनरी में व्याप्त भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। कई अधिकारियों ने इस मामले में अपनी संलिप्तता को लेकर सफाई दी है, लेकिन जांच जारी है।


निष्कर्ष

दिव्यांगों के नाम पर किए गए इस घोटाले ने यह साबित कर दिया कि सरकारी धन का दुरुपयोग और भ्रष्टाचार किसी भी स्तर पर हो सकता है। इस मामले की जांच और न्यायपूर्ण निर्णय से यह उम्मीद जताई जा रही है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं पर नियंत्रण पाया जा सकेगा।


यह घोटाला राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था और राजनीतिक संरचना में सुधार की आवश्यकता को उजागर करता है। सभी संबंधित अधिकारियों और व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि सरकारी धन का सही उपयोग सुनिश्चित किया जा सके।

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