सुरगुजा जिले के ग्राम पंचायत रिरिदंडपारा में बुधवार देर शाम एक दुखद घटना घटी

सुरगुजा जिले के ग्राम पंचायत रिरिदंडपारा में बुधवार देर शाम एक दुखद घटना घटी

24, 9, 2025

11

image

अंबिकापुर (सुरगुजा)। सुरगुजा जिले के ग्राम पंचायत रिरिदंडपारा में बुधवार देर शाम एक दुखद घटना घटी, जिसमें एक 62 वर्षीय वृद्ध महिला को जंगली हाथी ने रौंदकर मौत के घाट उतार दिया। घटना उस समय हुई जब महिला खेत में काम कर रही थी और हाथी ने अचानक हमला कर दिया।


🐘 घटना का विवरण

रिरिदंडपारा गांव के निवासी धुया मांझी अपनी पत्नी के साथ खेत में काम कर रहे थे, तभी एक जंगली हाथी ने उन पर हमला कर दिया। हाथी ने मांझी को जमीन पर पटक दिया और रौंद डाला, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। उनकी पत्नी किसी तरह जान बचाकर भागने में सफल रही।


🧑‍🌾 ग्रामीणों की प्रतिक्रिया

घटना के बाद गांव में शोक की लहर दौड़ गई। ग्रामीणों ने वन विभाग की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि हाथियों के आक्रमणों की चेतावनियों के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि वन विभाग मृतकों के परिवारों को समय पर मुआवजा नहीं देता है, जिससे उनकी कठिनाइयाँ बढ़ जाती हैं।


🏞️ वन विभाग की कार्रवाई

घटना की सूचना मिलते ही वन विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे और शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा। मृतक के परिवार को तत्काल ₹25,000 की राहत राशि प्रदान की गई है, जबकि शेष मुआवजा प्रक्रिया पूरी होने के बाद दिया जाएगा। वन विभाग ने हाथियों के मूवमेंट को लेकर गांव में अलर्ट जारी किया है और ग्रामीणों से सतर्क रहने की अपील की है।


🔄 मानव-वन्यजीव संघर्ष की बढ़ती घटनाएँ

यह घटना मानव-वन्यजीव संघर्ष की बढ़ती समस्या को उजागर करती है। पिछले कुछ वर्षों में छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में जंगली हाथियों के हमलों में कई लोगों की जान जा चुकी है। विशेषज्ञों का मानना है कि जंगलों की कटाई, मानव बस्तियों का विस्तार और हाथियों के प्राकृतिक आवासों में कमी के कारण ये संघर्ष बढ़े हैं।


📝 निष्कर्ष

सुरगुजा जिले की इस दुखद घटना ने मानव-वन्यजीव संघर्ष की गंभीरता को एक बार फिर से उजागर किया है। यह आवश्यक है कि वन विभाग और स्थानीय प्रशासन मिलकर ऐसे संघर्षों को कम करने के उपायों पर विचार करें, जैसे कि हाथियों के मूवमेंट की निगरानी, ग्रामीणों को सुरक्षा उपायों के बारे में जागरूक करना और मुआवजा प्रक्रिया को त्वरित बनाना। साथ ही, वन्यजीवों के प्राकृतिक आवासों की रक्षा करना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

Powered by Froala Editor