तिलक वर्मा ने कहा — यह जीत समर्पित है पूरे देश को: “चक दे इंडिया”

तिलक वर्मा ने कहा — यह जीत समर्पित है पूरे देश को: “चक दे इंडिया”

29, 9, 2025

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जब भारत ने एशिया कप 2025 का फाइनल पाकिस्तान को हराकर ट्रॉफी पर कब्ज़ा किया, तो करोड़ों लोगों की खुशी की सीमा न थी। इस जीत की चाबी बनी एक युवा खिलाड़ी — तिलक वर्मा। मैच के बाद प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने भावुक अंदाज़ में कहा कि यह जीत किसी एक खिलाड़ी की नहीं, बल्कि पूरे देश की है। उन्होंने “चक दे इंडिया” के शब्दों को जोर देते हुए इसे भावनात्मक समर्पण कहा।


नाबाद पारी की कहानी

भारत की पारी जब लड़खड़ा रही थी और टीम संघर्ष कर रही थी, तब तिलक ने ऐसा बल्ला चलाया कि विरोधी टीम स्तब्ध रह गई। धीमी पिच, तेज़ गेंदबाज़ी और दबाव की स्थिति — तमाम चुनौतियों के बीच उन्होंने संयम और धैर्य से पारी को संभाला।
उनकी नाबाद 69 रन की पारी वही पल थी जहाँ से भारत की जीत की रेखा आगे बढ़ी। इस पारी में उन्होंने न सिर्फ बड़े शॉट्स मारे, बल्कि छोटे-छोटे रन लेकर साझेदारी भी जोड़ी — यही चीज़ विपक्ष को परेशान करती रही।


टीम भावना और राष्ट्रीय समर्पण

तिलक ने कहा कि खेल की तैयारी में यह बात शामिल थी कि हर खिलाड़ी को किसी भी स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने यह बात भी ज़ोर देकर कही कि पिच धीमी हो या तेज़, उन्हें कोच टीम के साथ रणनीति बनाकर अभ्यास कर चुके थे।
उनकी नजर सिर्फ अपनी पारी पर नहीं, बल्कि टीम के हर हिस्से पर थी — उन्होंने संजू सैमसन और शिवम दुबे की भूमिका की तारीफ की, जिन्होंने दबाव में आकर टीम को राहत दी।

उनका कहना था: “यह जीत उन सभी भारतीयों के लिए है” — यानी यह सिर्फ खिलाड़ियों की जीत नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति की खुशी है जिसे भारत को जीतते देखना है।


“चक दे इंडिया” का जज़्बा

जब उन्होंने “चक दे इंडिया” का जज्बा ज़ुबान पर लाया, वह सिर्फ एक नारा नहीं था — एक भावना थी। एक संदेश था कि भारत के खिलाड़ियों ने समर्पण, एकता और आत्मविश्वास के साथ मैदान पर उतरा और देश को गर्व से भर दिया।
इस शब्द ने जीत की भावनाओं को और बुलंद कर दिया — जैसे हर भारतीय के अंदर से यह आवाज़ गूंज रही हो: चलो, जीतें!


परिणाम और प्रभाव

तिलक वर्मा की पारी ने भारत को दबाव में होने की स्थिति से बाहर निकाला। विपक्षी गेंदबाज़ी को तोड़ दिया गया, साझेदारियों ने पारी को सही दिशा दी और अंतिम बल्लेबाज़ी की लाइन ड्रॉ हुई।
उनकी इस भूमिका से यह साबित हो गया कि दबाव की घड़ी में जब एक खिलाड़ी आत्मविश्वास और संतुलन दिखाए, तो टीम को फायदा मिलता है।

उनकी यह जीतप्रेरक पारी सिर्फ ट्रॉफी तक सीमित नहीं — यह एक उदाहरण है उन युवाओं के लिए, जो सपने देखते हैं, मुश्किलों से डरते हैं लेकिन उन्हें पार करना जानते हैं।

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