कांकेर में पुलिस की नई रणनीति: इनामी माओवादी के पोस्टर लगाकर जनता से सहयोग मांगा गया

कांकेर में पुलिस की नई रणनीति: इनामी माओवादी के पोस्टर लगाकर जनता से सहयोग मांगा गया

11, 8, 2025

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कांकेर जिले के ग्रामीण और माओवादी प्रभावित इलाकों में पुलिस ने हाल ही में एक नया कदम उठाया है। उन्होंने उन माओवादियों के पोस्टर और बैनर लगा दिए हैं जिन पर इनाम घोषित है, और स्थानीय लोगों से इनकी जानकारी देने की अपील की है। पुलिस इस उम्मीद में है कि इससे माओवादियों की गति रोकी जा सकेगी और उन्हें पकड़ने में मदद मिलेगी।


क्या है पूरा मामला?

  • कार्रवाई परलकोट क्षेत्र से शुरू की गई है, जो कि कांकेर के अंदरूनी इलाकों में आता है। इस इलाके में माओवादी गतिविधियाँ लंबे समय से प्रबल हैं। 

  • बुधवार को पुलिस ने ग्रामीण गांवों और जंगलों में “वांछित माओवादियों” के पोस्टर / बैनर लगाए। इन पोस्टरों में उनकी तस्वीरें, नाम और उन पर घोषित इनाम राशि भी लिखी है। 

  • साथ ही, पुलिस ने जनता से अपील की है कि यदि किसी को इन माओवादियों के बारे में कोई सूचना हो – जैसे कि उनकी मौजूदगी, आवाजाही या ठिकाना आदि – तो इसकी सूचना तुरंत पुलिस को दें। सूचना देने वालों की पहचान गोपनीय रखी जाएगी। 


इनामी माओवादियों के नाम और इनाम राशि

पोस्टरों में कई माओवादियों के नाम दिए गए हैं, जिनके सिर पर इनाम घोषित है। कुछ प्रमुख नाम और उनकी इनामी राशि इस प्रकार है:

माओवादी का नामइनाम राशि
बसंती आंचल₹5 लाख 
पुष्पा हेमला₹5 लाख 
रामा कुंजाम₹5 लाख 
श्रवण मरकर₹5 लाख 
विश्वनाथ₹5 लाख 
रामको मंडावी₹5 लाख 
रानी उर्फ उमा₹5 लाख
जानकी सोरी₹5 लाख 
मनीषा कोर्राम₹1 लाख 
जमली मंडावी₹1 लाख 
कुमारी मंगली₹1 लाख 
कमला पद्दा दर्रो₹1 लाख 

पुलिस की मंशा और चुनौतियाँ

  • पुलिस की इस पहल का मकसद है कि स्थानीय जनता की भागीदारी बढ़े। अक्सर माओवादी प्रभावित इलाकों में लोग डर की वजह से पुलिस को जानकारी नहीं देते। इस पहल से उम्मीद है कि डर का माहौल कुछ कम होगा और लोग बोलने लगेंगे।

  • यह रणनीति माओवादी विरोधी अभियान में एक नया मोड़ है — केवल सर्च ऑपरेशन या सैन्य कार्रवाई पर निर्भर रहने के बजाय जन समर्थन और सूचना नेटवर्क को सक्रिय करना।

  • हालांकि, चुनौती यह है कि ग्रामीण इलाकों में संचार सुविधा कम होती है, लोग अक्सर पुलिस के प्रति अनिश्‍चित रहते हैं, और डर या धमकी का डर बना रहता है कि शिकायत करने पर माओवादी कार्रवाई कर सकते हैं। इसलिए पुलिस की इस अपील को विश्वसनीय दिखना बहुत ज़रूरी है।


जनता पर क्या प्रभाव होगा?

  • यदि ऐसा हुआ कि स्थानीय लोग जानकारी देने लगें, तो माओवादी गतिविधियाँ उनके अपने इलाके में कमजोर होंगी। छिपने-ढकने के लिए उन्हें सुरक्षित ठिकानों की कमी महसूस होगी।

  • इससे इलाके में शांति और सुरक्षा की भावना बढ़ सकती है। लोग यह अनुभव कर सकते हैं कि सरकार और पुलिस सिर्फ तात्कालिक कार्रवाई नहीं कर रहे, बल्कि जनता की भागीदारी से समस्या सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं।

  • इसके उलट, अगर सूचना नहीं मिली, या पुलिस कार्रवाई भरोसेमंद व पारदर्शी नहीं हुई, तो इस पहल का असर सीमित होगा, और लोगों का भरोसा नहीं बनेगा।


निष्कर्ष

कांकेर पुलिस की यह पहल एक सकारात्मक कदम है — माओवाद के खिलाफ लड़ाई में नई सोच और नए तरीके की झलक दिखाती है।

लेकिन यह तभी असरदार होगी जब यह पहल सिर्फ पोस्टर लगाने तक सीमित न रहे बल्कि इसके बाद:

  • सूचना मिलने पर त्वरित और उचित कार्रवाई हो,

  • जनता की सुरक्षा सुनिश्चित हो उनकी पहचान गुप्त रखी जाए,

  • माओवादी प्रभावित इलाकों में विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएँ आदि भी पहुंचे ताकि लोग माओवादी गतिविधियों से दूर हों।

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