लेह, लद्दाख में 24 सितंबर को हुए हिंसक प्रदर्शनों में मारे गए दो युवाओं की अंतिम संस्कार रविवार, 28 सितंबर को कर्फ्यू और कड़ी सुरक्षा के बीच संपन्न हुआ।

लेह, लद्दाख में 24 सितंबर को हुए हिंसक प्रदर्शनों में मारे गए दो युवाओं की अंतिम संस्कार रविवार, 28 सितंबर को कर्फ्यू और कड़ी सुरक्षा के बीच संपन्न हुआ।

29, 9, 2025

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लेह, लद्दाख में 24 सितंबर को हुए हिंसक प्रदर्शनों में मारे गए दो युवाओं की अंतिम संस्कार रविवार, 28 सितंबर को कर्फ्यू और कड़ी सुरक्षा के बीच संपन्न हुआ। यह घटना लद्दाख में राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन के दौरान हुई हिंसा का हिस्सा थी, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और 80 से अधिक लोग घायल हुए थे।


अंतिम संस्कार की प्रक्रिया

मृतकों में से दो, 24 वर्षीय स्टांजिन नामग्याल और 25 वर्षीय जिगमेत डोरजे, जो लेह के बाहरी इलाके चोगलामसर में रहते थे, रविवार को अंतिम संस्कार के लिए लेह में एकांत में स्थित श्मशान भूमि पर ले जाए गए। उनके घरों और श्मशान स्थल के आसपास कंटीले तार और बैरिकेड्स लगाए गए थे, और मीडिया कर्मियों को 200 मीटर दूर रोक दिया गया। अधिकारी केवल 30-40 लोगों को ही अंतिम संस्कार में शामिल होने की अनुमति दे रहे थे। अंतिम संस्कार के बाद बैरिकेड्स हटा दिए गए, लेकिन कर्फ्यू जारी रहा। 


कर्फ्यू और सुरक्षा व्यवस्था

लेह में यह कर्फ्यू पांचवे दिन भी जारी रहा, और रविवार को कोई ढील नहीं दी गई। पुलिस ने कड़ी निगरानी रखी और किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए सख्त प्रतिबंध लगाए गए। लेह के उपराज्यपाल काविंदर गुप्ता ने सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की और सार्वजनिक सुरक्षा बनाए रखने पर जोर दिया। 


हिंसा और उसके कारण

24 सितंबर को, राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की मांग को लेकर प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच झड़पें हुईं। प्रदर्शनकारियों ने सरकारी कार्यालयों और वाहनों में आग लगा दी, जबकि पुलिस ने आंसू गैस और गोलियां चलाईं। इस हिंसा में चार लोग मारे गए, जिनमें तीन युवा और एक 46 वर्षीय पूर्व सैनिक शामिल थे। लगभग 90 लोग घायल हुए, जिनमें से छह की हालत गंभीर थी। 


राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया

कश्मीर डेमोक्रेटिक एलायंस (KDA) और लेह एपेक्स बॉडी (LAB) जैसे संगठनों ने इस हिंसा की निंदा की और निष्पक्ष जांच की मांग की। कई स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है, और पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत गिरफ्तार किया गया है। उनकी गिरफ्तारी के बाद भी क्षेत्र में तनाव बना हुआ है। 


निष्कर्ष

लेह में हुई हिंसा और उसके बाद की घटनाएं लद्दाख की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति को उजागर करती हैं। राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की मांग को लेकर स्थानीय समुदायों का असंतोष स्पष्ट है। अधिकारियों को इस असंतोष को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने के लिए संवाद और समझौते की प्रक्रिया को बढ़ावा देना चाहिए।

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