भारत-अमेरिका व्यापार विवाद: रूस से तेल आयात पर ट्रंप प्रशासन का दबाव

भारत-अमेरिका व्यापार विवाद: रूस से तेल आयात पर ट्रंप प्रशासन का दबाव

29, 9, 2025

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भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों में हाल के दिनों में तनाव बढ़ा है, जिसका मुख्य कारण भारत द्वारा रूस से तेल आयात जारी रखना है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से रूस से तेल खरीदारी कम करने का दबाव डाला है, जिससे दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों में अनिश्चितता उत्पन्न हुई है।

अमेरिका का दबाव और ट्रंप की नीति

अमेरिका ने भारत से रूस से तेल खरीदारी कम करने की मांग की है, ताकि दोनों देशों के बीच व्यापारिक समझौते की प्रक्रिया आगे बढ़ सके। ट्रंप प्रशासन ने भारत पर आरोप लगाया है कि वह रूस से तेल खरीदकर उसकी युद्ध मशीनरी को समर्थन दे रहा है, जो यूक्रेन युद्ध को बढ़ावा देता है। इसलिए, अमेरिका ने भारतीय वस्त्रों पर 50% की अतिरिक्त सीमा शुल्क (टैरिफ) लगाया है, जिससे दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों में तनाव उत्पन्न हुआ है। 

भारत का रुख और रूस से समर्थन

भारत ने अमेरिका के इस दबाव को नकारते हुए कहा है कि उसकी ऊर्जा नीति राष्ट्रीय हितों पर आधारित है और वह रूस से तेल खरीदारी जारी रखेगा। भारत का कहना है कि वह सबसे सस्ता और विश्वसनीय स्रोत से ऊर्जा प्राप्त करना चाहता है, और रूस से तेल खरीदारी उसी रणनीति का हिस्सा है। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भारत के इस रुख का समर्थन करते हुए कहा कि भारत को अपनी ऊर्जा नीति तय करने का पूरा अधिकार है और उसे किसी बाहरी दबाव का सामना नहीं करना चाहिए। 

व्यापारिक समझौते की संभावना

इसके बावजूद, दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में सुधार की संभावना बनी हुई है। भारत और अमेरिका के व्यापारिक प्रतिनिधियों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान मुलाकात की और व्यापारिक समझौते की दिशा में बातचीत की। भारत ने अमेरिका से कहा है कि वह रूस से तेल खरीदारी कम करने को तैयार है, लेकिन इसके लिए अमेरिका को भी भारतीय वस्त्रों पर लगाए गए टैरिफ में राहत देनी होगी। 

निष्कर्ष

भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों में सुधार की दिशा में दोनों देशों को आपसी समझौते और सहयोग की आवश्यकता है। भारत को अपनी ऊर्जा नीति पर ध्यान केंद्रित करते हुए, अमेरिका से व्यापारिक टैरिफ में राहत प्राप्त करने के लिए रणनीतिक कदम उठाने होंगे। वहीं, अमेरिका को भी भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं और राष्ट्रीय हितों को समझते हुए, दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में सुधार के लिए लचीला रुख अपनाना चाहिए।

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