सरगुजा जिले में एक चिकित्सक से अवैध वसूली के मामले में पुलिस विभाग ने कड़ी कार्रवाई की है।

सरगुजा जिले में एक चिकित्सक से अवैध वसूली के मामले में पुलिस विभाग ने कड़ी कार्रवाई की है।

29, 9, 2025

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सरगुजा जिले में एक चिकित्सक से अवैध वसूली के मामले में पुलिस विभाग ने कड़ी कार्रवाई की है। पुलिस महानिरीक्षक दीपक कुमार झा के निर्देश पर मणिपुर थाने में पदस्थ सहायक उप निरीक्षक (ASI) धीरज गुप्ता को लाइन अटैच कर दिया गया है और उनकी सरगुजा में पदस्थापना समाप्त कर उन्हें उनके मूल जिले कोरिया भेज दिया गया है। इसके अलावा, नगर सेना के संभागीय कमांडेंट राजेश पांडेय ने नगर सैनिक ओमप्रकाश दुबे को निलंबित कर दिया है।

मामला क्या था?

अंबिकापुर के एक निजी अस्पताल में कार्यरत चिकित्सक ने अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ मणिपुर थाने में शिकायत की थी। शिकायत में आरोप था कि अस्पताल के अधिकारियों ने उनसे अवैध रूप से पैसे लिए थे। मणिपुर पुलिस ने इस मामले की जांच की, लेकिन इसे असंज्ञेय अपराध मानते हुए थाने से फैना काटकर दे दिया गया। इससे चिकित्सक को संतोषजनक जवाब नहीं मिला और वे बार-बार थाने आते रहे।

पुलिस महानिरीक्षक से मुलाकात

कुछ समय बाद, चिकित्सक ने पुलिस महानिरीक्षक दीपक कुमार झा से मुलाकात की और उन्हें लिखित शिकायत दी। शिकायत में सहायक उप निरीक्षक धीरज गुप्ता और नगर सैनिक ओमप्रकाश दुबे पर रिश्वतखोरी के गंभीर आरोप लगाए गए थे। चिकित्सक का कहना था कि नगर सैनिक ने यूपीआई के माध्यम से उनसे 5,000 रुपये लिए थे, जिसका स्क्रीनशॉट भी उन्होंने प्रस्तुत किया। इसके अलावा, उनके क्लिनिक में जाकर 23,000 रुपये की और मांग की गई थी। इसमें से 10,000 रुपये थाना प्रभारी के नाम पर, 8,000 रुपये सहायक उप निरीक्षक के नाम पर और 5,000 रुपये अन्य खर्च के नाम पर लिए गए थे।

पुलिस विभाग की कार्रवाई

शिकायत की गंभीरता को देखते हुए पुलिस महानिरीक्षक दीपक कुमार झा ने तत्काल जांच के आदेश दिए। जांच के दौरान यह तथ्य सामने आया कि सहायक उप निरीक्षक धीरज गुप्ता की मूल पदस्थापना कोरिया जिले में है, लेकिन वे सरगुजा में संबद्ध थे। इसलिए उनकी संबद्धता समाप्त कर उन्हें कोरिया जिला भेज दिया गया। नगर सैनिक ओमप्रकाश दुबे को नगर सेना के संभागीय कमांडेंट ने निलंबित कर दिया।

पुलिस विभाग की सख्त चेतावनी

पुलिस महानिरीक्षक दीपक कुमार झा ने इस मामले में स्पष्ट संकेत दिया है कि रिश्वतखोरी की शिकायतों पर त्वरित जांच और कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग में किसी भी प्रकार की भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

यह घटना पुलिस विभाग के लिए एक चेतावनी है कि वे अपनी छवि को सुधारें और जनता के विश्वास को बनाए रखें। इस प्रकार की घटनाओं से पुलिस विभाग की प्रतिष्ठा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और जनता का विश्वास कमजोर होता है।

इस मामले में पुलिस विभाग की त्वरित और सख्त कार्रवाई सराहनीय है और यह अन्य विभागों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करती है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।

इस प्रकार की घटनाओं से यह भी स्पष्ट होता है कि यदि कोई नागरिक अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाता है, तो उसे न्याय मिल सकता है। चिकित्सक की शिकायत के बाद पुलिस विभाग ने त्वरित कार्रवाई की और दोषियों को दंडित किया। यह दर्शाता है कि यदि हम सही तरीके से अपनी शिकायतें प्रस्तुत करें, तो हमें न्याय मिल सकता है।

अंत में, यह घटना यह भी दर्शाती है कि पुलिस विभाग को अपनी कार्यप्रणाली में सुधार करने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। पुलिस विभाग को चाहिए कि वे अपने कर्मचारियों को भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी शिक्षा दें और उन्हें यह समझाएं कि उनका मुख्य उद्देश्य जनता की सेवा करना है, न कि उनसे अवैध रूप से धन वसूलना।

इस घटना से यह भी संदेश मिलता है कि हमें अपने अधिकारों के लिए खड़ा होना चाहिए और किसी भी प्रकार की अवैध वसूली या भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। यदि हम चुप रहते हैं, तो ऐसे लोग और भी साहसी हो जाते हैं। लेकिन यदि हम आवाज उठाते हैं, तो हमें न्याय मिल सकता है और समाज में सुधार हो सकता है।

इस प्रकार, यह घटना एक सकारात्मक संदेश देती है कि यदि हम सही तरीके से अपनी शिकायतें प्रस्तुत करें और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाएं, तो हमें न्याय मिल सकता है और समाज में सुधार हो सकता है।

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