EOW ने कांग्रेस को शराब घोटाला मामले में नोटिस जारी किया

EOW ने कांग्रेस को शराब घोटाला मामले में नोटिस जारी किया

29, 9, 2025

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छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से एक महत्वपूर्ण और राजनीतिक रूप से संवेदनशील खबर सामने आई है — आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने कांग्रेस पार्टी को शराब घोटाला मामले में नोटिस जारी किया है। इस कदम से राज्य की राजनीति और शोषण-रोक संबंधी जांचों पर नई हलचल मची है।

पृष्ठभूमि: शराब घोटाले की प्रगति और आरोप

पिछले कुछ समय से छत्तीसगढ़ में 2019 से 2023 की अवधि को लेकर एक बड़ा शराब घोटाला सामने आया है, जिसमें कथित रूप से ₹3,200 करोड़ से अधिक की राशि के दुष्प्रयोग और कमीशन प्रणाली की व्यवस्था उजागर हुई है। इस मामले में 29 से अधिक मद्य विभानी अधिकारियों, ठेकेदारों और अन्य नेटवर्क सदस्यों को आरोपी बनाया गया है।The Economic Times+1

EOW ने इस घोटाले के संबंध में अब तक चार अतिरिक्त आरोपपत्र (supplementary chargesheets) दाखिल की हैं, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि इस मामला केवल एक सीमित भ्रष्टाचार मामला नहीं है, बल्कि एक गहरी और जटिल साज़िश का हिस्सा है।The Economic Times

घोटाले की जाँच में यह सामने आया है कि अवैध शराब को सरकार द्वारा नियंत्रित आउटलेट्स में “B-part liquor” के रूप में बेचा गया था — यानी बिना कर या नियत शुल्क चुकाए हुए शराब को सरकारी दुकानों में उसी तरह उपलब्ध कराया गया, जैसे वैध उत्पादन की गई शराब। इस व्यवस्था में डिस्टिलरी, आपूर्तिकर्ता, सरकारी कर्मचारी और राजनीतिक नेटवर्क जुड़े थे।The Economic Times+1

इस साजिश में मुख्य शक में अनवार धोबार (Anwar Dhebar) और अन्य प्रमुख नाम शामिल हैं। इतना ही नहीं — इस घोटाले की जांच में कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र, चैतन्य बघेल (Chaitanya Baghel) का नाम भी उच्च स्तर पर सामने आया है। उन्हें इससे पहले ही Enforcement Directorate (ED) और EOW दोनों की छापेमारी और आरोपों की जांच का सामना करना पड़ा है।The New Indian Express+2Bhaskar English+2

नोटिस जारी करना — क्या मायने रखता है?

जब EOW ने कांग्रेस को इस मामले में नोटिस जारी किया है, तो यह संकेत है कि पार्टी या उनके प्रतिनिधियों को इस घोटाले में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष दायित्व से जोड़ने की कोशिश हो सकती है। नोटिस मिलने का मतलब यह है:

  • कांग्रेस को जांच एजेंसी को जवाब देना होगा कि किस आधार पर उन्हें शामिल किया गया है

  • पार्टी को अपनी जवाबदेही स्पष्ट करनी होगी

  • यदि पार्टी पक्ष में कोई तथ्य जवाब देने योग्य हों, उन्हें पेश करना होगा

  • यह कदम राजनीतिक दबाव या छापेमारी की तैयारी की चेतावनी भी हो सकती है

नोटिस जारी करना न्याय प्रक्रिया का हिस्सा है, जो आरोप लगाने से पहले पक्ष को सुनने का अवसर देता है।

राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया

नोटिस जारी होने की खबर तेजी से राजनीतिक हलचल मचा रही है। कुछ लोग इसे एक सकारात्मक कदम बता रहे हैं — यह दिखाता है कि जांच एजेंसियाँ अब बड़े राजनीतिक दलों को भी बगैर डरे कार्रवाई के दायरे में ला रही हैं। वहीं, कांग्रेस समर्थक इसे एक राजनीतिक लड़ाई और आरोप-प्रत्यारोप की प्रक्रिया मान रहे हैं।

कांग्रेस नेतृत्व ने इस कदम को “राजनैतिक बदला” या “विरोधी दबाव” भी कहा है — उनका दावा है कि नोटिस जारी करना बिना पर्याप्त कारण के किया गया है।

स्थानीय स्तरीय जनता और मीडिया इस मामले को बड़ी संवेदनशीलता से देख रहे हैं। आरोप और जांचों की गहराई, दस्तावेज़ों की सत्यता और मीडिया रिपोर्टिंग का असर — ये सब मिलकर इस पूरे मामले को राज्य की राजनीति और प्रशासनिक पारदर्शिता के दायरे में ला रहे हैं।

चुनौतियाँ और आगे की संभावनाएँ

इस मामले में आगे की चुनौतियाँ बहुत बड़ी हैं:

  1. प्रमाण एकत्र करना
    शराब घोटाले की जटिलता में फंसे दस्तावेज़, खातों की लेन-देन सूची और डिजिटल रिकॉर्ड अहम होंगे। यह सुनिश्चित करना कि ये प्रमाण न्यायालय में स्वीकार्य हों, महत्वपूर्ण है।

  2. राजनीतिक दबाव और पक्षपात
    ऐसे मामलों में आवाज़ उठने की संभावना है कि जांच एजेंसियों पर राजनीति का प्रभाव हो। निष्पक्षता बनाए रखना जरूरी है।

  3. पारदर्शी प्रक्रिया
    आरोपपत्र तैयार करने से पहले सभी पहलुओं को जांचना और दोषियों को सही समय पर न्याय दिलाना ज़रूरी है।

  4. जनहित और भरोसा
    जनता का यह विश्वास टूट सकता है कि बड़े दल और नेता जांच से बच जाते हैं। यदि न्याय सुस्पष्ट ढंग से हो, तो यह विश्वास बहाल हो सकता है।

निष्कर्ष: एक राजनीतिक और न्यायिक मुड़

EOW द्वारा कांग्रेस को शराब घोटाले में नोटिस भेजना सिर्फ एक कानूनी कदम नहीं है — यह राज्य की राजनीति, शक्ति संतुलन और न्याय प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण मोड़ है।

यदि नोटिस का उल्लंघन हुआ, या पार्टी समय से जवाब नहीं देती है, तो आगे की कार्रवाई — जैसे कि गिरफ्तारी, ज़मानत अर्जियों के निस्तारण या आरोपपत्र दायर करना — संभव है।

इस मामले की दिशा यह दिखाएगी कि छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार, सज़ा और राजनीति के बीच किस तरह संतुलन बिठाया जाता है।

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