दंतेवाड़ा: बाढ़ के पानी ने 100 मीटर लंबा पुलिया बहा लिया, तमाम गांवों की कनेक्टिविटी टूटी

दंतेवाड़ा: बाढ़ के पानी ने 100 मीटर लंबा पुलिया बहा लिया, तमाम गांवों की कनेक्टिविटी टूटी

11, 8, 2025

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छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में एक भयंकर बाढ़ से भारी नुकसान हुआ है। लगातार बारिश और नदियों बढ़े जल स्तर ने इलाके को बर्बादी के कगार पर ला दिया है। इस दौरान एक लगभग 100 मीटर लंबी पुलिया (बायपास ब्रिज) पूरी तरह बह गई, जिससे क्षेत्र के कई गांव सड़क संपर्क से कट गए हैं और जीवन-यापन बेहद कठिन हो गया है।


बाढ़ की घटना और पुलिया का क्षय

  • मौसम की तेज तबाही ने जंगलों और नदियों को उफनाया, पानी तेजी से बढ़ा।

  • बायपास पुलिया जो कि दंतेवाड़ा-क्षेत्र में आवागमन का एक अहम मार्ग था, उस पर पानी ने इतना बढ़ावा लिया कि पुलिया की संरचना पूरी तरह टूट गई। बताया जा रहा है कि बहाव इतनी शक्ति का था कि पानी में बहते मलबे, वृक्ष, जमीन और किनारे के हिस्से पुलिया को जकड़ने लगे और अंतत: पुलिया पूरी तरह बह गई।

  • पुलिया के बह जाने का असर तत्काल दिखा — गाड़ियाँ, आवागमन, तात्कालिक आपूर्ति सब रुक गया; लोग अपने-अपने काम-धंधे करने, अस्पताल पहुंचने, स्कूल जाने या अन्य ज़रूरतें पूरी करने में बाधित हो गए।


प्रभावित क्षेत्र और जनजीवन

  • कई छोटे-गांव पुलिया और सड़कों के अस्थायी संपर्क टूटने से कहीं से भी मुख्य बाजार या शहर से कट गए हैं। ग्रामीणों को अब लंबी दूरी तय करनी पड़ रही है, कुछ लोग नदियों या आम रास्तों से होकर लोग-पेटे पुलिया के बजाए पुराने रास्तों से जाने को मजबूर हैं।

  • स्कूल-पाठशालाएँ प्रभावित हुई हैं; कुछ बच्चों को विद्यालय पहुँचने में दिक्कत हो रही है क्योंकि उनका रास्ता पुलिया से होकर गुजरता था। ऊपर से पानी बढ़ने, रास्ते टूटी होने व पुलिया न होने के कारण स्कूलों को बंद करना पड़ा है और बच्चों को जोखिम भरे रास्ते तय करने पड़ रहे हैं।

  • स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रभावित हुई हैं — अस्पतालों तक पहुँचने में समय बढ़ गया है; इंजेक्शन, दवाइयाँ, चिकित्सकीय आपूर्ति आदि लाने-लेजाने में देरी हुई है।


प्रशासन की प्रतिक्रिया और राहत कार्य

  • जिला प्रशासन ने तुरंत ही प्रभावित इलाकों में राहत शिविर स्थापित किए हैं। लोग जिनके घर बह गए या क्षतिग्रस्त हुए हैं, उन्हें प्राथमिक स्व-निर्धारित सहायता दी जा रही है — भोजन, पेयजल, कंबल-कपड़े आदि।

  • सड़क विभाग और स्थानीय प्रशासन टीमों ने क्षतिग्रस्त मार्गों और पुलिया की मरम्मत का काम शुरू किया है, लेकिन यह काम आसान नहीं है क्योंकि बाढ़ अभी पूरी तरह कम नहीं हुई है।

  • उन इलाकों में शक्ति चलाई जा रही है कि बिजली, संचार (मोबाइल नेटवर्क), पानी-नाली आदि बुनियादी सेवाएँ जल्द बहाल हो जाएँ।


बारिश, मौसम और प्राकृतिक कारण

  • बाढ़ दरअसल लगातार हुई भारी बारिश की वजह से उत्पन्न हुई है। एक या दो दिन में ही इतनी बारिश हुई कि नदी-नाले भारी-भरकम पानी लेकर बाढ़ की स्थिति पैदा कर दी।

  • नदियों के किनारे बसे गाँवों को हमेशा बाढ़ का अधिक जोखिम रहता है, लेकिन इस बार बारिश की तीव्रता काफी अधिक थी, जिससे पूर्व के अनुमान भी धुर हो गए।

  • नदियों के तटों पर पानी बढ़ने, निचले इलाकों में जलभराव, और भूमि जल अवरोधों की वजह से नालों और नदियों का जल प्रवाह अचानक बढ़ी गति से बाहर निकल गया।


सामाजिक और आर्थिक नुकसान

  • किसानों की फसलें पानी में डूब गई हैं, खेतों को भारी नुकसान हुआ है। सीज़न की फसलें नष्ट होने से आय का नुकसान हुआ है।

  • ग्रामीणों को अपने पशुपालन, मंडियाँ, स्थानीय रोज़गार आदि बंद होने से आर्थिक संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है।

  • घरिहर नुकसान भी भारी है — कई “कच्चे मकानों” को बाढ़ ने पूरी तरह बिगाड़ दिया है, फर्श-दीवारें गिरीं हैं या धुल गई हैं। परिवार वस्तुओं का नुकसान हुआ है — बर्तन, कपड़े, फर्नीचर आदि बह गए या टूटे।

  • परिवहन और सामान सप्लाई में परेशानी है। दुकानों तक सामान नहीं पहुँचा, दवाइयाँ-खाद्य सामग्री आने-जाने में बाधा है।


चुनौतियाँ और खतरे

  • पुनरपास (rehabilitation) कार्य को जल्द पूरा करना बाकी है। खासकर पुलिया जैसे बुनियादी ढांचे को फिर से स्थापित करना आसान नहीं है क्योंकि बहाव ने नींव और किनारों को भी कमजोर कर दिया है।

  • मौसम अभी अनिश्चित है; यदि नई बारिश आयी तो हालात और खराब हो सकते हैं।

  • अस्पतालों और मेडिकल सुविधाओं की सीमाएँ अधिक प्रतीत हो रही हैं क्योंकि कोई आपात मार्ग नहीं है।

  • संचार माध्यमों में बाधा है; मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट कई इलाकों में ठप हो गए हैं, जिससे सूचना पहुँचाने कठिनाई हो रही है।


आगे क्या किया जाना चाहिए

  • आपातकालीन उपाय: अस्थायी पुलिया (टेम्पररी ब्रिज या पैदल पुल) बनाना ताकि लोगों की आवाजाही आसान हो सके।

  • मौसम पूर्व चेतावनी प्रणाली को और मजबूत करना चाहिए ताकि भारी बारिश की सूचना समय रहते मिल सके और लोग सतर्क हो सकें।

  • पुनरुद्धार और पुनर्स्थापना के काम को प्राथमिकता दी जाए — पुलिया की मरम्मत, सड़कों का पुनर्निर्माण, गांव-गाँव से कनेक्शन बहाल करना।

  • आर्थिक सहायता — प्रभावित परिवारों को मुआवजा देना, नुकसान के सामान की भरपाई करना ताकि वे नया जीवन शुरू कर सकें।

  • दीर्घकालीन योजना: नदियों के किनारे बेहतर बांध, जल निकासी सुधरना, भूमि उपयोग नियोजन और बाढ़ नियंत्रण उपकरणों की स्थापना करनी होगी ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति को रोका जा सके।


निष्कर्ष

बाढ़ ने दंतेवाड़ा को एक बार फिर यह दिखा दिया कि प्रकृति कहर बरपाने से पीछे नहीं है। 100 मीटर लंबी पुलिया का बह जाना सिर्फ एक बुनियादी ढांचे का नुकसान नहीं है, वह जीवन, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और रोज़मर्रा की ज़रूरतों को प्रभावित करने वाला एक बड़ा झटका है।

लेकिन इस झटके में यह आशा भी है कि जब प्रशासन, लोग और समुदाय मिलकर काम करेंगे तो पुनरुद्धार संभव है। समय रहते अगर पुलिया बहाल हो, उन परिवारों को सहायता मिले जिनका जीवन बर्बाद हुआ, और भविष्य-पूर्ति योजनाएँ बनाई जाएँ — तो बस्तर-दंतेवाड़ा के इन इलाकों के लिए यह एक नई शुरुआत हो सकती है।

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