बलरामपुर जिले के आदिवासी बहुल गांव लमोरी में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत वितरित किए जा रहे चावल की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठे हैं।

बलरामपुर जिले के आदिवासी बहुल गांव लमोरी में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत वितरित किए जा रहे चावल की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठे हैं।

29, 9, 2025

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बलरामपुर जिले के आदिवासी बहुल गांव लमोरी में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत वितरित किए जा रहे चावल की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि चावल में जाली और धूल की मिली-जुली सामग्री पाई जा रही है, जिससे यह खाने योग्य नहीं रह जाता। स्थानीय निवासियों ने अधिकारियों से जांच की मांग की है।

📌 समस्या का विवरण

लमोरी गांव के ग्रामीणों ने बताया कि PDS के तहत मिलने वाला चावल अक्सर गंदगी और धूल से भरा होता है। चावल के दानों में जाली और अन्य अवशेष पाए जाते हैं, जिससे यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। इस स्थिति ने ग्रामीणों के लिए भोजन की गुणवत्ता और सुरक्षा को लेकर चिंता पैदा कर दी है।

🛑 स्वास्थ्य पर प्रभाव

खराब गुणवत्ता वाले चावल का सेवन करने से बच्चों और महिलाओं में कुपोषण की समस्या बढ़ सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार, PDS के तहत वितरित खाद्यान्न की गुणवत्ता में सुधार करने से कुपोषण की दर में कमी लाई जा सकती है। यदि खाद्यान्न की गुणवत्ता बेहतर हो, तो यह पोषण स्तर को सुधारने में सहायक हो सकता है। 

📢 अधिकारियों की प्रतिक्रिया

स्थानीय अधिकारियों ने मामले की गंभीरता को समझते हुए जांच का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी और PDS के तहत वितरित खाद्यान्न की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

✅ समाधान की दिशा

इस समस्या के समाधान के लिए PDS के तहत वितरित खाद्यान्न की गुणवत्ता की नियमित जांच और निगरानी की आवश्यकता है। इसके अलावा, ग्रामीणों को खाद्यान्न की गुणवत्ता के बारे में जागरूक करने और उन्हें शिकायत दर्ज करने के लिए सक्षम बनाने की आवश्यकता है। इससे खाद्यान्न की गुणवत्ता में सुधार और कुपोषण की समस्या में कमी लाई जा सकती है।

बलरामपुर में PDS चावल की गुणवत्ता को लेकर उठे सवाल यह दर्शाते हैं कि खाद्यान्न वितरण प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है। यदि उचित कदम उठाए जाते हैं, तो यह ग्रामीणों के स्वास्थ्य और पोषण स्तर में सुधार ला सकता है।

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