कोंडागांव जिले में किसानों के लिए एक नई उम्मीद की किरण बनकर उभरा है

कोंडागांव जिले में किसानों के लिए एक नई उम्मीद की किरण बनकर उभरा है

29, 9, 2025

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कोंडागांव जिले में किसानों के लिए एक नई उम्मीद की किरण बनकर उभरा है – पाँच-स्तरीय कृषि मॉडल। यह अभिनव कृषि पद्धति सीमित भूमि में अधिक उत्पादन और स्थिर आय सुनिश्चित करने का एक प्रभावी तरीका साबित हो रही है।


🌱 पाँच-स्तरीय कृषि मॉडल: क्या है यह?

पाँच-स्तरीय कृषि मॉडल में भूमि की ऊपरी सतह से लेकर नीचे तक विभिन्न प्रकार की फसलों की परतें उगाई जाती हैं। इसमें ऊँचे पेड़, फलदार पौधे, सब्जियाँ, बेलनुमा पौधे और भूमिगत फसलें शामिल होती हैं। यह मॉडल भूमि के हर इंच का उपयोग करता है, जिससे उत्पादन क्षमता में वृद्धि होती है।


💰 आय में वृद्धि

पाँच-स्तरीय कृषि मॉडल अपनाने से किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। उदाहरण के लिए, मध्य प्रदेश के एक किसान ने इस मॉडल को अपनाकर 2.5 एकड़ भूमि से 12 से 15 लाख रुपये वार्षिक आय अर्जित की है। इससे यह स्पष्ट होता है कि सीमित भूमि में भी अधिक आय संभव है।


🌾 फसलों का चयन और लाभ

इस मॉडल में विभिन्न प्रकार की फसलों का चयन किया जाता है, जैसे:

  • ऊँचे पेड़: मोरिंगा, आम, अमरूद

  • फलदार पौधे: पपीता, केला

  • सब्जियाँ: पालक, धनिया, मेथी

  • बेलनुमा पौधे: कद्दू, लौकी, करेला

  • भूमिगत फसलें: आलू, अदरक, हल्दी

इन फसलों के संयोजन से न केवल आय में वृद्धि होती है, बल्कि जलवायु परिवर्तन और कीटों से भी सुरक्षा मिलती है।


💧 जल संरक्षण और पर्यावरणीय लाभ

पाँच-स्तरीय कृषि मॉडल जल संरक्षण में भी सहायक है। इसमें जल की अधिक बचत होती है, क्योंकि विभिन्न परतों के कारण मिट्टी में नमी बनी रहती है। इसके अलावा, यह मॉडल पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी लाभकारी है, क्योंकि इसमें रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग न्यूनतम होता है।


🧑‍🌾 किसानों के लिए सुझाव

  • प्रशिक्षण प्राप्त करें: इस मॉडल को अपनाने से पहले संबंधित प्रशिक्षण प्राप्त करें।

  • फसलों का चयन सोच-समझकर करें: भूमि की स्थिति और जलवायु के अनुसार फसलों का चयन करें।

  • संसाधनों का कुशल उपयोग करें: जल, उर्वरक और श्रम का कुशल उपयोग करें।

  • स्थानीय विशेषज्ञों से मार्गदर्शन प्राप्त करें: स्थानीय कृषि विशेषज्ञों से सलाह लें।


पाँच-स्तरीय कृषि मॉडल छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर प्रस्तुत करता है। यह मॉडल न केवल आय में वृद्धि करता है, बल्कि कृषि को अधिक स्थिर और पर्यावरणीय रूप से सुरक्षित बनाता है। यदि इस मॉडल को व्यापक रूप से अपनाया जाए, तो यह राज्य की कृषि व्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकता है।

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