बस्तर क्षेत्र में नक्सलवाद के खिलाफ चलाए जा रहे सुरक्षा अभियानों के बावजूद, अब एक नई चुनौती सामने आ रही है।

बस्तर क्षेत्र में नक्सलवाद के खिलाफ चलाए जा रहे सुरक्षा अभियानों के बावजूद, अब एक नई चुनौती सामने आ रही है।

29, 9, 2025

11

image

बस्तर क्षेत्र में नक्सलवाद के खिलाफ चलाए जा रहे सुरक्षा अभियानों के बावजूद, अब एक नई चुनौती सामने आ रही है। नक्सलियों के सहयोगी, जो पहले बस्तर में सक्रिय थे, अब शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। इससे नक्सलवाद की जड़ें शहरी क्षेत्रों में भी फैलने की संभावना बढ़ गई है।


🏙️ शहरों में नक्सलियों के सहयोगियों का पलायन

पहले चरण में, नक्सलियों के सहयोगी बस्तर में सक्रिय थे, लेकिन अब वे शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। इन सहयोगियों का कार्य नक्सलियों के लिए खाने-पीने का इंतजाम करना, सुरक्षा बलों की गतिविधियों की सूचना देना और सड़कें खोदकर आईईडी प्लांट करना तथा सड़कें जाम करना था। अब ये सदस्य बस्तर छोड़कर शहरों में बसने की कोशिश कर रहे हैं।


🔍 नए खतरे की पहचान

शहरों में नक्सलियों के सहयोगियों का बढ़ता प्रभाव सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक नई चुनौती बन गया है। इन सहयोगियों के शहरी क्षेत्रों में सक्रिय होने से नक्सलवाद के खिलाफ चलाए जा रहे अभियानों की प्रभावशीलता पर प्रश्नचिह्न लग सकता है। इसके अलावा, शहरी क्षेत्रों में इनका नेटवर्क स्थापित होने से सुरक्षा बलों के लिए निगरानी और कार्रवाई करना कठिन हो सकता है।


🛡️ सुरक्षा बलों की रणनीति

सुरक्षा बलों ने इस नई चुनौती का सामना करने के लिए अपनी रणनीतियों में बदलाव किया है। शहरी क्षेत्रों में गुप्त सूचनाओं के आधार पर कार्रवाई की जा रही है। इसके अलावा, स्थानीय पुलिस और खुफिया एजेंसियों के साथ समन्वय बढ़ाया गया है ताकि नक्सलियों के नेटवर्क को समय रहते नष्ट किया जा सके।


नक्सलवाद के खिलाफ चलाए जा रहे अभियानों की सफलता के लिए यह आवश्यक है कि सुरक्षा बल शहरी क्षेत्रों में भी अपनी सक्रियता बनाए रखें। इसके लिए स्थानीय समुदाय की भागीदारी और सहयोग भी महत्वपूर्ण है। यदि समय रहते इन नए खतरों का सामना नहीं किया गया, तो नक्सलवाद की जड़ें शहरी क्षेत्रों में भी फैल सकती हैं, जो समाज के लिए गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

Powered by Froala Editor