गंगरेल तथा अन्य बांधों में पानी की प्रचुरता: बरसात ने भरा तरह की उम्मीद जगाई

गंगरेल तथा अन्य बांधों में पानी की प्रचुरता: बरसात ने भरा तरह की उम्मीद जगाई

11, 8, 2025

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धमतरी जिले में बारिश के सीज़न ने इलाके के प्रमुख जलाशयों को जीवनदान दिया है। गंगरेल बांध लगभग अपनी पूरी क्षमता पर पहुँच चुका है, जबकि मुरूमसिल्ली, सोंढूर और दुधवा बांधों में भी जलस्तर अच्छी तरह से बढ़ा है। इस स्थिति ने किसानों, स्थानीय आबादी और सिंचाई प्रणालियों के लिए राहत की सांस दी है।


गंगरेल बांध: स्थिति पर एक नज़र

  • गंगरेल बांध की कुल क्षमता 32.150 टीएमसी है। वर्तमान में इसमें लगभग 29.467 टीएमसी पानी जमा हो चुका है, यानी करीब 90 प्रतिशत भरा हुआ है।

  • बांध में हर सेकेंड लगभग 7933 क्यूसेक पानी की आवक (इनफ्लो) हो रही है, जिससे पानी का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है।

  • बांध की “देड़-दो टीएमसी” की और पानी पाने की जरूरत है कि वह पूरी तरह भरा माने जाए और संभावित रूप से दरवाज़े खोलने की स्थिति आ सके।


अन्य बांधों की स्थिति

गंगरेल के साथ-साथ जिले के अन्य छोटे-बड़े बांधों की स्थिति भी संतोषजनक है:

बांधपूर्ण क्षमता (टीएमसी)वर्तमान भरा जलस्तरप्रतिशतताआवक दर (क्यूसेक)
मुरूमसिल्ली~5.839~4.061लगभग 68%~938 क्यूसेक
सोंढूर~6.995~4.027लगभग 69%~442 क्यूसेक
दुधवा~10.192~4.662लगभग 45%~701 क्यूसेक
  • मुरूमसिल्ली और सोंढूर बांध लगभग दो-तिहाई भर चुके हैं।

  • दुधवा बांध की स्थिति अभी कुछ कम है (लगभग 44-45 प्रतिशत), लेकिन अच्छी बारिशों के चलते उसमें भी जल स्तर में सुधार हो रहा है।


मानसून का असर और उम्मीदें

  • इस बरसात के मौसम ने धमतरी तथा आस-पास के क्षेत्रों में निरंतर वर्षा की है, जिससे कैचमेंट एरिया में पानी की आवक बढ़ी है। विशेषकर कांकेर क्षेत्र की बारिश का सीधा प्रभाव गंगरेल और आस-पास के बांधों पर पड़ा है।

  • यदि आगामी दिनों में मौसम ऐसा ही बना रहे, तो गंगरेल बांध के गेट खोलने की नौबत आ सकती है। इससे सिंचाई के लिए पानी छोड़ा जा सकता है और खेतों की पैदावार को बढ़ावा मिलेगा।


किसानों और स्थानीय लोगों के लिए लाभ

  • खेतों में धान या अन्य फसलों की सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित होने से किसानों को राहत मिलेगी। पिछले साल पानी की कमी के कारण फसलें प्रभावित हुई थीं, इसलिए इस साल बेहतर हालात की उम्मीद है।

  • ग्रामीण इलाकों में लोग सामान्य जीवन चलाने में सक्षम होंगे — पेयजल, पशुपालन, नल-जल आदि उपयोगों के लिए पानी का स्तर पर्याप्त हो जाएगा।

  • बांधों के गेट खोलने पर आसपास के क्षेत्रों में बाढ़ नियंत्रण और जल प्रबंधन की चुनौतियाँ होंगी, मगर समय रहते योजना बनाए जाने पर नुकसान कम से कम होगा।


चुनौतियाँ और सतर्कता की ज़रूरत

हालाँकि वर्तमान स्थिति सकारात्मक है, लेकिन कुछ चुनौतियाँ बनी हुई हैं:

  1. गेट खोलने का समय
    जब बांध के गेट खोले जाते हैं, तो उतना पानी नियंत्रण के साथ छोड़ा जाना चाहिए कि निचले इलाके प्रभावित न हों। सड़कें, पुलिया आदि संभावित बाढ़ से प्रभावित हो सकते हैं।

  2. जल प्रबंधन की योजना
    पानी की आवक और बहाव को मॉनिटर करना ज़रूरी है। यदि अचानक भारी बारिश हो जाए, तो चेतावनी तंत्र सक्रिय हो, ताकि लोगों को समय रहते सतर्क किया जा सके।

  3. सिंचाई की मांग एवं आपूर्ति संतुलन
    पानी का प्रयोग सिर्फ कृषि हेतु ही न हो बल्कि पेयजल, पशुधन आदि के लिए भी पर्याप्त मात्रा में सुरक्षित पानी सुनिश्चित किया जाए।

  4. आगामी मौसम अनिश्चितता
    मानसून अक्सर अनियमित होता है। यदि बारिश अचानक कम हो जाए या लंबे सूखे के दिन शुरू हो जाएँ, तो वर्तमान स्थिति जल्दी बिगड़ सकती है।


निष्कर्ष

गंगरेल, मुरूमसिल्ली, सोंढूर और दुधवा बांधों में पानी की पर्याप्त आवक और जलस्तर में बढ़ोत्तरी यह संकेत है कि बरसाती सीज़न इस साल खेतों व आम जनजीवन के लिए अनुकूल साबित हो रहा है। यदि समय रहते उचित जल प्रबंधन हो, गेट नियंत्रण सही तरह से किया जाए और स्थानीय आबादी, किसान व प्रशासन मिलकर काम करें, तो इस वर्ष अच्छी फसल व बेहतर जीवन की उम्मीद जगी है।

यह वक्त है कि जल संसाधनों की उपयोगिता को अधिक बढ़ावा दिया जाए — बारिश के दिनों में जल संचयन, नदियों-नालों की सफाई, बांधों और सींचाई की योजनाएँ बेहतर हों — ताकि आने वाले समय में पानी का संकट कम हो और सतत विकास हो सके।

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