धमतरी में गंगरेल बांध: पानी लबालब, दो गेट खोलकर छोड़ा गया 5320 क्यूसेक पानी

धमतरी में गंगरेल बांध: पानी लबालब, दो गेट खोलकर छोड़ा गया 5320 क्यूसेक पानी

11, 8, 2025

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धमतरी जिले के रवि शंकर सागर जलाशय, जिसे गंगरेल बांध के नाम से जाना जाता है, वर्षा के मौसम के चलते पूरी तरह भरा हुआ है। भारी बारिश और लगातार पानी की आवक के बाद, बांध का जलस्तर नियंत्रण से बाहर जाने की स्थिति बन गई, जिससे प्रशासन ने दो गेट खोलने का फैसला किया है। इस कदम के बाद चल रही स्थितियों, प्रभावों व सावधानियों पर चर्चा जरूरी है।


बाँध की स्थिति: पूरी भराव के करीब

  • वर्तमानमें गंगरेल बांध में लगभग 29.674 टीएमसी पानी जमा हो चुका है। यह उसकी कुल उपयोगी क्षमता के करीब है।

  • जल संसाधन विभाग के अनुसार, उपयोगी जल का माप लगभग 24.603 टीएमसी है, जो संकेत है कि अधिकांश पानी सिंचाई व अन्य आवश्यकताओं के लिए उपलब्ध हो चुका है।

  • भारी बारिश और आसपास के कैचमेंट एरिया से लगातार पानी आ रहा है, जिससे बांध की क्षमता जल्द से जल्द पूरी तरह भर सकती है।


गेट खोलने का फैसला

  • स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, प्रशासन ने शाम 4 बजे दो गेट खोलने का आदेश जारी किया। ये क्रमांक गेट नंबर 4 और 5 थे।

  • इन दोनों गेटों से लगभग 5320 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। यह पानी नीचे-आवला इलाकों की ओर बहाया जा रहा है।

  • इससे पहले पिछले कुछ दिनों से गेट संख्या 11 और 12 से भी पानी छोड़ा जा रहा था, लेकिन अब गति बढ़ाई गई है।


सैलानी और जनता की प्रतिक्रिया

  • गेट खुलने के बाद बांध देखने सैलानियों की बड़ी तादाद वहां उमड़ी है। लोग बांध की भराव स्थिति, बहते पानी और प्राकृतिक दृश्य देखने आ रहे हैं।

  • कुछ लोग इसे सौभाग्य की बात मान रहे हैं कि वर्षा अच्छी हुई है और पानी की आपूर्ति सुरक्षित हो सकेगी। किसान वर्ग विशेष रूप से संतुष्ट है क्योंकि सिंचाई की सुविधा बढ़ेगी।


संभावित प्रभाव और सावधानियाँ

नीचे के इलाकों के लिए प्रभाव:

  • पानी छोड़े जाने से नदी किनारे बसे गाँवों और कस्बों में अचानक जलस्तर बढ़ने की संभावना है। निचले इलाकों के लोग सतर्क रहें।

  • प्रशासन ने इन इलाकों के कलेक्टरों को सूचना भेजी है, ताकि आपदा प्रबंधन दल, स्वास्थ्य विभाग, पुलिस व अन्य एजेंसियाँ तैयार रहें।

सतर्कता के कुछ पहलू:

  1. गेट खुलने से जल प्रवाह पर निगरानी ज़रूरी है ताकि निकलने वाला पानी नियंत्रण से बाहर न हो।

  2. निचली धारा में बाढ़ नियंत्रण की योजना हो — जहाँ जरूरत हो, अस्थायी बाँध, रास्तों की सुरक्षा आदि की व्यवस्था।

  3. लोगों को अलर्ट रखना — सूचना तंत्र सक्रिय हो, ऐसी घटनाओं में स्थानीय प्रशासन समय से जानकारी दें।


किसानों और स्थानीय जीवन पर असर

  • सिंचाई की संभावनाएँ बढ़ेंगी — खेतों में पानी पहुंचने से धान, सब्जी आदि मुख्य फसलों की पैदावार बेहतर हो सकती है।

  • जल की उपलब्धता पशु-पालन, घरेलू जरूरतों के लिए भी बढ़ेगी। पिछली बारिशों के बाद सूखे-पानी की चिंता थी, जिससे लोग परेशान थे; अब राहत दिख रही है।

  • लेकिन जल छोङी जाने के बाद दूरी-रस्ते प्रभावित हो सकते हैं, पुल-पुलिया आदि जगहों पर पानी का दबाव बढ़ सकता है, ऐसा होने पर ट्रैफिक व आवाजाही प्रभावित हो सकती है।


प्रशासन का नजरिया और आगे की रणनीति

  • प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया है कि गेट खोलने से पहले पड़ोसी जिलों को सूचना भेज दी गई है ताकि वे तैयार हो सकें।

  • जल संसाधन विभाग लगातार जल-मापन, बारिश के ऑब्ज़र्वेशन, नदियों-नालों की स्थिति पर नजर रख रहा है।

  • यदि जल स्तर और बढ़ता है, तो बाँध के अन्य गेट भी खोलने की स्थिति बन सकती है।


निष्कर्ष

गंगरेल बांध के दो गेट खोलने का निर्णय एक आवश्यक कदम है—न सिर्फ बांध के सुरक्षित संचालन के लिए, बल्कि नीचे-आवला इलाकों को होने वाले खतरे को कम करने के लिए भी। पानी की लबालब स्थिति, लगातार बारिश और जलआवक ने यह संकेत दे दिया है कि समय रहते कार्रवाई होनी चाहिए।

अगर आगे मौसम स्थिर रहा, और प्रशासन सभी संभावित प्रभावों को ध्यान में रखकर काम करे, तो इस परिस्थिति को सकारात्मक बदलाव में बदला जा सकता है। किसानों को फल, जल संकट कम होगा, गाँव-गाँव जीवन आसान होगा। लेकिन सावधानी न बरती जाए तो जोखिम भी है।

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