धमतरी में प्रेम-संघर्ष ने ले ली जान: 67 वर्षीय प्रेमी ने 26 वर्षीय प्रेमिका की चाकू से हत्या

धमतरी में प्रेम-संघर्ष ने ले ली जान: 67 वर्षीय प्रेमी ने 26 वर्षीय प्रेमिका की चाकू से हत्या

11, 8, 2025

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धमतरी ज़िला एक दर्दनाक घटना से हिल गया है, जहाँ 67 वर्ष के एक बुजुर्ग प्रेमी ने अपनी 26 वर्ष की प्रेमिका की हत्या कर दी। हत्या की वजह एक ऐसा शक था जो कि उसने प्रेमिका के चरित्र के बारे में पाल रखा था कि वह किसी अन्य के साथ संबंध में है। घटना ने स्थानीय समाज में हिंसा, विश्वास और नैतिकता की बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।


घटना-वृत

  • घटना रोज़ पुला त्योहार की रात की है, ग्राम हसदा नंबर एक में। लगभग साढ़े आठ बजे की बात है जब मृतका पुष्पलता नामक महिला अपने तीन साल के बेटे के साथ गाँव की मुख्य सड़क पर स्थित यात्री प्रतीक्षालय के पास जा रही थी। तभी जगन्नाथ जांगड़े नाम का 67 वर्षीय व्यक्ति वहां मौजूद था।

  • आरोपी ने प्रेमिका के चरित्र पर संदेह जता कर, मौका पाकर पीछे से चाकू से हमला कर दिया। इस हमले में महिला को पेट और पीठ में कई वार हुए। घटना के दौरान उसका बेटा भी साथ था, उसे बचाने की कोशिश की गयी लेकिन वह भी चोट पहुँचने से बच नहीं पाया।

  • ग्रामीणों ने चिल्लाहट सुनकर मौके पर पहुंचकर पुलिस को सूचना दी। पुलिस और स्थानीय अधिकारी जल्दी घटना स्थल पाए। घायल महिला और बच्चा अस्पताल ले जाया गया, जहाँ महिला को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।


आरोपित कौन है और उसका बयान

  • आरोपी का नाम जगन्नाथ जांगड़े है, जो हसदा गाँव का निवासी है और पेशे से किसान बताया जाता है।

  • महिला पुष्पलता जांगड़े की शादी पहले ही हो चुकी थी, लेकिन उसका पति पिछले एक वर्ष से जेल में बंद है। उसके पति की जेल जाने के बाद ही जगन्नाथ और पुष्पलता के बीच निकटता बढ़ी।

  • पुलिस पूछताछ में जगन्नाथ ने स्वीकार किया है कि पुष्पलता के व्यवहार में वह किसी अन्य के साथ संबंध होने का शक करता था, और इसी शक और गुस्से में उसने यह कदम उठाया।


पुलिस कार्रवाई

  • क्षेत्र की पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। करेली बड़ी पुलिस चौकी के प्रभारी एवं स्टाफ ने मिलकर तलाशी के बाद जगन्नाथ को हिरासत में लिया।

  • घटना के अगले दिन पंचनामा और पोस्टमार्टम किया गया। शव पुष्पलता के परिजनों को सुपुर्द कर दिया गया।

  • पुलिस ने बताया है कि आरोपी के खिलाफ हत्या के तहत मामला दर्ज किया गया है और न्यायालय में कानूनी कार्रवाई शुरू हो गई है।


सामाजिक-नैतिक पहलू

  • इस घटना ने यह सवाल उठाया है कि जब एक व्यक्ति जीवन भर का अनुभव रखता हो, तब भी वह अपनी भावनाओं और शक को किस हद तक स्वीकार्य तरीके से नियंत्रित कर पाए।

  • बेटा भी घटना में मौजूद था, इसका प्रभाव बच्चे की मानसिक दशा पर कितना पड़ेगा, यह भी एक चिंताजनक विषय है — बचपन में हिंसा की छाया मजबूरी भरी हो जाती है।

  • शादी, जेल, परित्याग की स्थिति, इच्छा-अनिच्छा, सामाजिक विरोध आदि सभी इस घटना में जुड़े मनोवैज्ञानिक और सामाजिक आयाम हैं।


कानूनी और राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ

  • स्थानीय प्रशासन और पुलिस विभाग ने आक्रोश व्यक्त किया है कि ऐसे मामलों में समय पर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।

  • समाज-सेवी और महिलाओं के अधिकार कार्यकर्ताओं ने इंसाफ की मांग की है और कानून में ऐसे घरेलू हिंसा/शक आधारित हमलों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की आवश्यकता पर ज़ोर दिया है।

  • यह घटना पुलिस की संवेदनशीलता, सामाजिक न्याय की भूमिका, तथा समय पर बचाव प्रणाली जैसे अस्पतालों, हेल्पलाइन, और सामाजिक सुरक्षा नेटवर्क की महत्ता को उजागर करती है।


संभावित उपाए और भविष्य की दृष्टि

  • समाज में लिंग-समानता, महिलाओं की सुरक्षा और आत्मनिर्भरता बढ़ाने हेतु शिक्षा व जागरूकता कार्यक्रमों को प्रोत्साहन देना होगा।

  • शक-आधारित व्यवहार को न बढ़ने दें — यदि संबंध खत्म हो जाते हैं या पति-पति की अनुपस्थिति हो, तो सामाजिक व कानूनी समर्थन होना चाहिए।

  • अगली पीढ़ी को यह सिखाया जाना चाहिए कि किसी के चरित्र पर संदेह ही हत्या या हिंसा की वजह नहीं बनना चाहिए; संवाद, आत्म-विवेक, कानूनी उपाय पहले विकल्प होने चाहिए।

  • प्रशासन को चाहिए कि गरमी और त्योहारों के समय ऐसे त्वरित पुलिस पथ या स्थानीय शिकायत केन्द्र सक्रिय हों, ताकि घटना की सूचना मिलते ही बचाव हो सके।


निष्कर्ष

यह मामला यह दिखाता है कि प्रेम, रिश्ता, और शक जैसे भावनात्मक विषय जब नियंत्रण से बाहर हो जाते हैं, तो हिंसा का रूप ले लेते हैं। उम्र का अंतर, जेल में पति की अनुपस्थिति जैसी परिस्थितियाँ और सामाजिक अपेक्षाएँ — ये सभी मिलकर परिस्थिति को और जटिल बना देते हैं।

लेकिन हत्या को अपराध है और कानून को यह निर्णय लेना है कि आरोपी को सख्ती से सजा मिले। न्याय तभी पूरा होगा जब पीड़िता परिवार को सांत्वना मिले, आरोपी को उचित सजा मिले और ऐसा माहौल बने कि भविष्य में कोई भी ऐसी त्रासदी दोबारा न हो।

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