छत्तीसगढ़ कांग्रेस में जिला अध्यक्षों की दौड़ ने संगठन को एक नई दिशा दी है।

छत्तीसगढ़ कांग्रेस में जिला अध्यक्षों की दौड़ ने संगठन को एक नई दिशा दी है।

29, 9, 2025

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छत्तीसगढ़ कांग्रेस में जिला अध्यक्षों की दौड़ ने संगठन को एक नई दिशा दी है। हाल ही में कांग्रेस ने 11 जिलों में अध्यक्षों की नियुक्ति की है, जिससे संगठन में नए समीकरण और चर्चाएं शुरू हो गई हैं। प्रदेश कांग्रेस की इस फेरबदल को विशेष जातिगत संतुलन और नेतृत्व की भविष्य की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।


अध्यक्ष पद के लिए नई नियुक्तियां

शनिवार को दिल्ली से छत्तीसगढ़ कांग्रेस संगठन का नया आदेश जारी किया गया, जिसमें 11 जिलों के लिए नए अध्यक्ष नियुक्त किए गए हैं। प्रमुख नियुक्तियों में बालोद जिले की जिम्मेदारी चंद्रेश हिरवानी को, दुर्ग ग्रामीण की राकेश ठाकुर को, नारायणपुर की बिसेल नाग को, कोंडागांव की बुद्धराम नेताम को, कोरबा शहर की नाथूलाल यादव को, कोरबा ग्रामीण की मनोज चौहान को, बलोदाबाजार जिले की सुमित्रा घृतलहरे को, सांरगगढ़-बिलाईगढ़ की ताराचंद देवांगन को, सरगुजा में बलिकृष्ण पाठक को, बलरामपुर जिले की कृष्ण प्रताप सिंह को और बेमेतरा जिले की जिम्मेदारी आशीष छाबड़ा को दी गई है।


इन नियुक्तियों में खास बात यह रही कि सिर्फ एक महिला जिला अध्यक्ष नियुक्त की गई हैं, जिससे संगठन में महिलाओं की भागीदारी को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं। जातिगत समीकरण का भी पूरा ध्यान रखा गया, जिससे कांग्रेस अपने पारंपरिक वोटबैंक को संतुलित करने का प्रयास कर रही है।


संगठन परिवर्तन के राजनीतिक मायने

कांग्रेस संगठन में लगातार हार के बाद यह फेरबदल अहम माना जा रहा है। इन नियुक्तियों के साथ ही पार्टी प्रदेश अध्यक्ष बदलने की भी अटकलें लगाई जा रही हैं। भूपेश बघेल के राष्ट्रीय महासचिव बनने के बाद कई वरिष्ठ नेता प्रदेश अध्यक्ष पद के दावेदार माने जा रहे हैं, जिसमें टीएस सिंहदेव का नाम सबसे ऊपर चल रहा है।


हाल ही में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रभारी सचिन पायलट ने रायपुर में बैठक ली थी, जिसमें सीनियर नेता टीएस सिंहदेव नहीं पहुंचे। सचिन पायलट ने स्पष्ट संकेत दिए कि जो नेता सक्रिय नहीं हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, जिससे प्रदेश में आने वाले समय में नेतृत्व परिवर्तन की संभावना तेज हो गई है।


संगठनात्मक चुनौतियाँ और चुनावी रणनीति

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती है आगामी निकाय चुनाव, जिसमें संगठन की मजबूती और एकजुटता सबसे अहम होगी। विधानसभा, लोकसभा और नगरीय चुनावों में लगातार मिली हार के बाद संगठन को पुनः खड़ा करने की जिम्मेदारी नए जिला अध्यक्षों पर होगी। ऐसे में, इन नियुक्तियों के जरिए पार्टी ग्रासरूट स्तर पर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है।


प्रदेश कांग्रेस कमेटी का मुख्यालय रायपुर है। वर्तमान में दीपक बैज प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हैं, जबकि भूपेश बघेल अब राष्ट्रीय महासचिव बन चुके हैं। मोहन मरकाम और टीएस सिंहदेव जैसे वरिष्ठ नेताओं की भूमिका भी प्रदेश नेतृत्व में लगातार चर्चा में है।


स्थानीय समीकरणों की भूमिका

दूसरी तरफ, प्रत्येक जिले का अध्यक्ष स्थानीय मुद्दों, जातिगत समीकरण और संगठन की मजबूती के आधार पर चुना गया है। दिल्ली से जारी नियुक्ति पत्रों में राष्‍ट्रीय नेतृत्व ने इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखा। कोरबा, बलोदाबाजार और नारायणपुर जैसे जिलों में जाति और महिला नेतृत्व की चर्चा ने स्थानीय सियासत को भी गर्म कर दिया है।


महिला नेतृत्व पर सवाल

कांग्रेस के इस फैसले में सिर्फ एक महिला जिला अध्यक्ष की नियुक्ति के चलते संगठन के भीतर और बाहर इस मुद्दे पर सवाल उठ रहे हैं। पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए ऐसे प्रमुख पदों पर और अधिक महिला नेताओं को मौका दिया जाना चाहिए।


आने वाले समय की चुनौतियाँ

प्रदेश कांग्रेस के नेतृत्व में बदलाव की बात अभी अटकलों तक सीमित है, लेकिन संगठनात्मक सुधार और नई नियुक्तियों के साथ पार्टी प्रदेश के हर जिले में सक्रियता लाने की कोशिश कर रही है। वरिष्ठ नेताओं और नए नियुक्त जिला अध्यक्षों के समन्वय से पार्टी निकाय चुनाव की तैयारी में भी जुट चुकी है।


निष्कर्ष

छत्तीसगढ़ कांग्रेस संगठन में जिला अध्यक्ष पद के लिए चल रही दौड़ ने प्रदेश की राजनीति में नई हलचल पैदा की है। नेतृत्व की नई टीम के गठन और स्थानीय समीकरणों के संतुलन के साथ कांग्रेस आगामी चुनावी चुनौतियों का सामना करने की तैयारी कर रही है। आगामी निकाय चुनावों में यह परिवर्तन संगठन की मजबूती और एकजुटता के लिए निर्णायक साबित हो सकते हैं।

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