धमतरी में 16 साल बाद शिक्षाकर्मी भर्ती फर्जीवाड़ा के तीन आरोपी गिरफ्तार

धमतरी में 16 साल बाद शिक्षाकर्मी भर्ती फर्जीवाड़ा के तीन आरोपी गिरफ्तार

11, 8, 2025

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धमतरी जिले के मगरलोड क्षेत्र में 2007 में हुए शिक्षाकर्मी वर्ग-तीन भर्ती फर्जीवाड़ा के तीन आरोपियों को पुलिस ने 16 साल बाद गिरफ्तार किया है। इन आरोपियों ने फर्जी दस्तावेजों और अंक तालिका में हेरफेर करके अपात्र अभ्यर्थियों को चयनित किया था। इस मामले में अब तक कुल 105 आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है, जिनमें से 17 की मृत्यु हो चुकी है और कई अन्य फरार हैं।


घटना का विवरण

2007 में शिक्षाकर्मी वर्ग-तीन की भर्ती प्रक्रिया में फर्जीवाड़ा हुआ था। ग्राम चंदना निवासी कृष्ण कुमार साहू ने इस मामले में शिकायत दर्ज कराई थी। उनके अनुसार, आरोपियों ने फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र और अंकों में हेरफेर करके अपात्र अभ्यर्थियों को चयनित किया और पात्र अनुसूचित जाति-जनजाति अभ्यर्थियों को जानबूझकर वंचित किया।


गिरफ्तार आरोपियों की जानकारी

मगरलोड पुलिस ने हाल ही में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है:

  1. ईशु कुमार – निवासी कमरौद, थाना मगरलोड, जिला धमतरी

  2. सिताराम – निवासी मेघा, थाना मगरलोड, जिला धमतरी

  3. कोमल सिंह यदु – पूर्व जनपद उपाध्यक्ष, निवासी मोंहदी, थाना मगरलोड, जिला धमतरी

इन आरोपियों को न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया है। पुलिस ने बताया कि जल्द ही इस मामले में अन्य फरार आरोपियों को भी गिरफ्तार किया जाएगा।


फर्जीवाड़े का दायरा

शिक्षाकर्मी भर्ती फर्जीवाड़ा 2007-08 में शासन की ओर से 150 पदों पर शिक्षाकर्मी वर्ग-तीन की भर्ती की जानी थी, लेकिन आरोपियों ने सांठगांठ करके कुल 172 पदों पर भर्ती कर ली। इस प्रक्रिया में फर्जी दस्तावेजों का उपयोग किया गया, जिसमें अनुभव प्रमाण पत्र, अंक तालिका, एनसीसी, स्काउट-गाइड, खेल प्रमाण पत्र, डीएड प्रमाण पत्र और दिव्यांग प्रमाण पत्र शामिल थे।

इस मामले में कुल 105 आरोपियों के खिलाफ जुर्म दर्ज किया गया था। इनमें से 17 की मृत्यु हो चुकी है, जबकि कई अन्य फरार हैं। पुलिस ने पहले ही तत्कालीन सीईओ कमलाकांत तिवारी को गिरफ्तार किया था और पांच आरोपियों ने अग्रिम जमानत ली है।


नौकरी पर प्रभाव

इस फर्जीवाड़े के कारण करीब 40 से 45 शिक्षाकर्मी वर्ग-तीन अभी भी नौकरी कर रहे हैं। 17 सितंबर को आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद इन शिक्षाकर्मियों में हड़कंप मच गया है। पुलिस ने बताया कि इन शिक्षाकर्मियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी और उन्हें जल्द गिरफ्तार किया जाएगा।


निष्कर्ष

धमतरी में हुए इस शिक्षाकर्मी भर्ती फर्जीवाड़े ने यह साबित कर दिया कि भ्रष्टाचार और कदाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है। पुलिस ने 16 साल बाद आरोपियों की गिरफ्तारी करके यह संदेश दिया है कि कोई भी अपराधी कानून से बच नहीं सकता। हालांकि, इस मामले में कई आरोपी अभी भी फरार हैं और उनकी गिरफ्तारी की प्रक्रिया जारी है।

इस घटना से यह भी स्पष्ट होता है कि सरकारी भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और निगरानी की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में इस प्रकार के फर्जीवाड़े रोके जा सकें।

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