कुत्ते और बंदर के काटने पर झाड़-फूंक और अंधविश्वास से बचें, टीकाकरण ही है सही उपाय

कुत्ते और बंदर के काटने पर झाड़-फूंक और अंधविश्वास से बचें, टीकाकरण ही है सही उपाय

29, 9, 2025

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छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर जिले में कुत्ते और बंदर के काटने की घटनाएँ बढ़ रही हैं। इससे लोगों में रैबीज जैसी गंभीर बीमारी का खतरा बढ़ गया है। अधिकांश लोग झाड़-फूंक और अंधविश्वास पर विश्वास करते हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि टीकाकरण ही एकमात्र प्रभावी उपाय है।

रैबीज: एक जानलेवा बीमारी

रैबीज एक वायरल संक्रमण है जो आमतौर पर कुत्ते और बंदर के काटने से फैलता है। यह बीमारी तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है और यदि समय पर इलाज न मिले तो यह मौत का कारण बन सकती है। छत्तीसगढ़ में रैबीज के कई मामले सामने आ चुके हैं, जिससे स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ गई है।

अंधविश्वास और झाड़-फूंक की प्रथा

कई लोग रैबीज के इलाज के लिए झाड़-फूंक और अंधविश्वास पर विश्वास करते हैं। वे यह मानते हैं कि इन उपायों से बीमारी ठीक हो जाएगी। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि ये उपाय न केवल बेकार हैं, बल्कि समय की बर्बादी भी हैं।

टीकाकरण: एकमात्र प्रभावी उपाय

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, कुत्ते और बंदर के काटने के बाद तुरंत टीकाकरण करवाना चाहिए। यह रैबीज के संक्रमण से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है। टीकाकरण से शरीर में एंटीबॉडीज बनती हैं जो वायरस से लड़ने में मदद करती हैं।

स्वास्थ्य विभाग की पहल

स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को जागरूक करने के लिए कई अभियान चलाए हैं। टीकाकरण केंद्रों की संख्या बढ़ाई गई है और मोबाइल टीमों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में भी टीकाकरण की सुविधा दी जा रही है। इसके अलावा, लोगों को अंधविश्वास से बचने और वैज्ञानिक उपायों को अपनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

निष्कर्ष

रैबीज एक गंभीर बीमारी है, लेकिन इसे समय पर टीकाकरण से रोका जा सकता है। झाड़-फूंक और अंधविश्वास से कोई लाभ नहीं होता। इसलिए, कुत्ते और बंदर के काटने पर तुरंत टीकाकरण करवाना चाहिए और किसी भी प्रकार के अंधविश्वास से बचना चाहिए।

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