चिरमिरी की दुर्गा पूजा बनी सादगी की मिसाल

चिरमिरी की दुर्गा पूजा बनी सादगी की मिसाल

29, 9, 2025

11

image

छत्तीसगढ़ राज्य के चिरमिरी नगर निगम क्षेत्र में इस वर्ष की दुर्गा पूजा ने सादगी और श्रद्धा की नई परिभाषा प्रस्तुत की है। पारंपरिक रूप से बड़े-बड़े पंडालों और भव्य सजावट के लिए प्रसिद्ध यह पर्व इस बार स्थानीय लोगों ने मिलकर सादगी से मनाया। इस पहल ने समाज में एकता, भाईचारे और पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया है।

सादगी की शुरुआत

चिरमिरी के विभिन्न क्षेत्रों में इस वर्ष दुर्गा पूजा के आयोजन में सादगी को प्राथमिकता दी गई। पंडालों की सजावट में प्लास्टिक और अन्य कृत्रिम सामग्री का उपयोग कम से कम किया गया। स्थानीय कलाकारों द्वारा बनाए गए प्राकृतिक रंगों से सजे पंडालों ने आकर्षण का केंद्र बने। मूर्ति की स्थापना में भी पारंपरिक और स्थानीय शिल्पकला को प्रोत्साहित किया गया।

सामूहिक सहभागिता

इस वर्ष की दुर्गा पूजा में सामूहिक सहभागिता को बढ़ावा दिया गया। स्थानीय निवासियों ने मिलकर पूजा की तैयारियाँ कीं और आयोजन में सक्रिय रूप से भाग लिया। इससे न केवल आयोजन की सादगी बढ़ी, बल्कि समाज में एकता और सहयोग की भावना भी मजबूत हुई।

पर्यावरण संरक्षण का संदेश

सादगीपूर्ण आयोजन के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दिया गया। प्लास्टिक के स्थान पर बांस और अन्य जैविक सामग्री का उपयोग किया गया। मूर्ति विसर्जन के लिए प्राकृतिक जलाशयों का चयन किया गया, जिससे जल प्रदूषण की संभावना कम हुई।

सामाजिक जागरूकता

इस पहल ने समाज में सामाजिक जागरूकता को भी बढ़ावा दिया। लोगों ने दिखाया कि भव्यता के बिना भी धार्मिक उत्सवों को श्रद्धा और सादगी से मनाया जा सकता है। इससे यह संदेश गया कि धार्मिक आयोजनों में पर्यावरण और समाज की भलाई को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

निष्कर्ष

चिरमिरी की इस वर्ष की दुर्गा पूजा ने यह सिद्ध कर दिया कि सादगी में भी भव्यता और श्रद्धा हो सकती है। स्थानीय निवासियों की सामूहिक सहभागिता, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक जागरूकता ने इस आयोजन को एक मिसाल बना दिया है। यह पहल अन्य स्थानों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन सकती है।

Powered by Froala Editor