छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के ग्राम कुम्हीगुड़ा में 29 सितंबर को पशु चिकित्सा विभाग द्वारा आयोजित खुरपका-मुंहपका (FMD) टीकाकरण अभियान के दौरान कुछ बकरियों में लंपी स्किन डिजीज (LSD) के लक्षण विकसित हो गए।

छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के ग्राम कुम्हीगुड़ा में 29 सितंबर को पशु चिकित्सा विभाग द्वारा आयोजित खुरपका-मुंहपका (FMD) टीकाकरण अभियान के दौरान कुछ बकरियों में लंपी स्किन डिजीज (LSD) के लक्षण विकसित हो गए।

29, 9, 2025

9

image

छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के ग्राम कुम्हीगुड़ा में 29 सितंबर को पशु चिकित्सा विभाग द्वारा आयोजित खुरपका-मुंहपका (FMD) टीकाकरण अभियान के दौरान कुछ बकरियों में लंपी स्किन डिजीज (LSD) के लक्षण विकसित हो गए। इस घटना ने ग्रामीणों और पशुपालकों के बीच चिंता की लहर दौड़ा दी है।

लंपी स्किन डिजीज: एक संक्रामक रोग

लंपी स्किन डिजीज एक वायरल रोग है जो मुख्य रूप से गायों और बकरियों को प्रभावित करता है। यह रोग Capripoxvirus के कारण होता है और इसके लक्षणों में त्वचा पर गांठें, बुखार, कमजोरी और दूध उत्पादन में कमी शामिल हैं। यह रोग मुख्य रूप से संक्रमित मच्छरों और मक्खियों के माध्यम से फैलता है।

टीकाकरण अभियान और संक्रमण की घटना

कुम्हीगुड़ा में आयोजित टीकाकरण अभियान के दौरान, कुछ बकरियों में लंपी स्किन डिजीज के लक्षण विकसित हुए। इससे पहले, इन बकरियों में इस रोग के कोई लक्षण नहीं थे, और वे स्वस्थ थीं। इस घटना ने यह संकेत दिया है कि टीकाकरण के बावजूद, कुछ मामलों में संक्रमण हो सकता है।

टीकाकरण की प्रभावशीलता और चुनौतियाँ

वैश्विक स्तर पर, लंपी स्किन डिजीज के खिलाफ टीकाकरण को प्रभावी माना गया है। हालांकि, कुछ मामलों में, जैसे कुम्हीगुड़ा में, टीकाकरण के बाद भी संक्रमण की घटनाएँ सामने आई हैं। यह दर्शाता है कि टीकाकरण के बावजूद, रोग के फैलाव को पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि टीकाकरण के साथ-साथ अन्य नियंत्रण उपायों जैसे मच्छरों और मक्खियों के नियंत्रण, संक्रमित पशुओं का पृथक्करण और नियमित स्वास्थ्य जांच की आवश्यकता है। इसके अलावा, पशुपालकों को इस रोग के लक्षणों के बारे में जागरूक करना और उन्हें शीघ्र उपचार के लिए प्रेरित करना भी महत्वपूर्ण है।

भविष्य की दिशा

कुम्हीगुड़ा में हुई इस घटना ने यह स्पष्ट किया है कि लंपी स्किन डिजीज के नियंत्रण के लिए एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है। केवल टीकाकरण पर निर्भर रहने के बजाय, सभी नियंत्रण उपायों को एक साथ लागू करना चाहिए। इसके लिए, पशुपालकों, पशु चिकित्सा विभाग और अन्य संबंधित अधिकारियों के बीच समन्वय और सहयोग आवश्यक है।

अंततः, लंपी स्किन डिजीज के प्रभावी नियंत्रण के लिए निरंतर निगरानी, शीघ्र प्रतिक्रिया और जागरूकता अभियानों की आवश्यकता है। केवल तभी हम इस रोग के प्रभाव को कम कर सकते हैं और पशुपालन क्षेत्र को सुरक्षित बना सकते हैं।

Powered by Froala Editor