तला कासरंग के संरक्षण व संवर्धन पर कार्यशाला: युवाओं ने बुजुर्गों की मदद से आभूषण बनाना सीखा

तला कासरंग के संरक्षण व संवर्धन पर कार्यशाला: युवाओं ने बुजुर्गों की मदद से आभूषण बनाना सीखा

29, 9, 2025

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छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में तला कासरंग (Tala Kasrang) समुदाय की पारंपरिक आभूषण कला को संरक्षित और संवर्धित करने के उद्देश्य से एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में युवाओं ने बुजुर्ग कारीगरों से आभूषण निर्माण की पारंपरिक विधियों को सीखा।

कार्यशाला का उद्देश्य

तला कासरंग समुदाय की आभूषण निर्माण कला वर्षों से चली आ रही है, लेकिन आधुनिकता के प्रभाव से यह कला धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य इस पारंपरिक कला को संरक्षित करना और युवाओं में इसके प्रति जागरूकता बढ़ाना था।

बुजुर्गों से सीखने की प्रक्रिया

कार्यशाला में बुजुर्ग कारीगरों ने युवाओं को आभूषण निर्माण की पारंपरिक विधियों से परिचित कराया। उन्होंने धातु की शुद्धता, डिजाइन की बारीकियों और निर्माण की तकनीकों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। युवाओं ने इन विधियों को सीखकर आभूषण बनाने की प्रक्रिया में भाग लिया।

सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व

इस पहल से न केवल तला कासरंग समुदाय की पारंपरिक कला को संरक्षित किया जा रहा है, बल्कि यह युवाओं को अपने सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ने का एक माध्यम भी बन रहा है। आभूषण निर्माण की यह कला समुदाय की पहचान है, और इसके संरक्षण से सामाजिक एकता और सांस्कृतिक समृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।

भविष्य की दिशा

कार्यशाला के सफल आयोजन के बाद, योजना बनाई जा रही है कि इस कला को और अधिक युवाओं तक पहुँचाया जाए। इसके लिए भविष्य में और कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा और तला कासरंग आभूषणों की प्रदर्शनी आयोजित की जाएगी, ताकि इस कला को व्यापक स्तर पर पहचान मिल सके।

इस पहल ने यह सिद्ध कर दिया है कि यदि पारंपरिक कला और संस्कृति को संरक्षित करने के लिए सही दिशा में प्रयास किए जाएं, तो वे न केवल जीवित रहती हैं, बल्कि समाज में नई ऊर्जा और जागरूकता का संचार भी करती हैं।

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