छत्तीसगढ़ में कोयला लेवी घोटाला एक बड़ा मुद्दा बन चुका है, जिसमें कई उच्च सरकारी अधिकारियों के नाम सामने आए हैं।

छत्तीसगढ़ में कोयला लेवी घोटाला एक बड़ा मुद्दा बन चुका है, जिसमें कई उच्च सरकारी अधिकारियों के नाम सामने आए हैं।

29, 9, 2025

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छत्तीसगढ़ में कोयला लेवी घोटाला एक बड़ा मुद्दा बन चुका है, जिसमें कई उच्च सरकारी अधिकारियों के नाम सामने आए हैं। हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक पत्र जारी किया है, जिसमें बताया गया है कि कारोबारी सूर्यकांत तिवारी की डायरी में 80 करोड़ रुपये से अधिक के लेन-देन का विवरण मिला है। इस डायरी में कई बड़े अधिकारियों के नाम दर्ज हैं, जिनमें दो IPS, दो IAS और एक ASP शामिल हैं।

डायरी में दर्ज लेन-देन

डायरी के अनुसार, एक IPS अधिकारी ने सूर्यकांत तिवारी को लगभग 11.5 करोड़ रुपये दिए। यह अधिकारी भूपेश सरकार में प्रभावशाली माने जाते थे। इसके अलावा, महासमुंद जिले में पोस्टेड एक और IPS अधिकारी ने 2.65 करोड़ रुपये तिवारी को दिए। एक IAS अधिकारी ने 75 लाख रुपये और एक चर्चित IAS अधिकारी, जिन्हें जेल भी जाना पड़ा और बेल पर बाहर हैं, ने 60 करोड़ रुपये तिवारी तक पहुंचाए। इसके विपरीत, एक ASP ने तिवारी से 5.67 करोड़ रुपये लिए हैं।

कोयला लेवी घोटाले का विवरण

ED का दावा है कि छत्तीसगढ़ में कोयला घोटाला किया गया है, जिसमें 36 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। ईडी का आरोप है कि कोयले के परिचालन, ऑनलाइन परमिट को ऑफलाइन करने समेत कई तरीकों से करीब 570 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध वसूली की गई है। कोल परिवहन में कोल व्यापारियों से वसूली करने के लिए ऑनलाइन मिलने वाले परमिट को ऑफलाइन कर दिया गया था। खनिज विभाग के तत्कालीन संचालक आईएएस समीर विश्नोई ने 15 जुलाई 2020 को इसके लिए आदेश जारी किया था।

तिवारी की भूमिका

ईडी की जांच के मुताबिक, सूर्यकांत तिवारी ने कोयला परिवहन और परमिट प्रक्रियाओं में कथित अनियमितताओं के जरिए करोड़ों की अवैध वसूली का मास्टरमाइंड माना गया है। आरोप है कि प्रति टन 25 रुपये की दर से वसूली कर रकम उसके कर्मचारियों के जरिए जमा कराई जाती थी, और इसके बदले संबंधित व्यापारियों को खनिज विभाग से परमिट जारी किए जाते थे।

सरकार की कार्रवाई

ED के पत्र मिलने के बाद, छत्तीसगढ़ सरकार ने जांच की प्रक्रिया तेज कर दी है। चीफ सेक्रेटरी और ACB-EOW की ओर से जांच की तैयारी शुरू कर दी गई है। जल्द ही इन अधिकारियों से जवाब तलब भी किया जा सकता है।

यह मामला छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार और सरकारी अधिकारियों की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े करता है। सरकार की ओर से की जा रही जांच से यह उम्मीद जताई जा रही है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी और राज्य में भ्रष्टाचार पर काबू पाया जाएगा।

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