बलरामपुर के एसडीओपी याकूब मेमन पर दुष्कर्म का आरोप

बलरामपुर के एसडीओपी याकूब मेमन पर दुष्कर्म का आरोप

11, 8, 2025

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छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में तैनात एसडीओपी (उप पुलिस अधीक्षक) मोहम्मद याकूब मेमन पर एक महिला ने दुष्कर्म का आरोप लगाया है। महिला का कहना है कि वर्ष 2020-21 में जब याकूब मेमन टिकरापारा थाना प्रभारी थे, तब उन्होंने उसे डराया-धमकाया और कई बार जबरन शारीरिक संबंध बनाए। महिला ने रायपुर पुलिस अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन एफआईआर दर्ज नहीं की गई। न्याय न मिलने पर महिला ने सरगुजा आईजी से संपर्क किया, जिसके बाद एफआईआर दर्ज की गई।


आरोपों का विवरण

महिला का कहना है कि वह अपने पति के साथ किराए के मकान में रहती थी। पति के बाहर रहने पर याकूब मेमन उसे अपने घर बुलाकर शारीरिक शोषण करते थे। महिला ने कई बार रायपुर पुलिस अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अंततः उसने सरगुजा आईजी से संपर्क किया, जिसके बाद एफआईआर दर्ज की गई।


प्रशासनिक कार्रवाई

एफआईआर दर्ज होने के बाद, टिकरापारा थाना पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। एएसपी पश्चिम दौलत राम पोर्ते ने एफआईआर की पुष्टि की है। मामले की गंभीरता को देखते हुए उच्च अधिकारियों ने मामले की जांच को प्राथमिकता दी है।


याकूब मेमन का पुलिस सेवा में योगदान

याकूब मेमन वर्ष 1998 में पुलिस सेवा में भर्ती हुए थे। उन्होंने अविभाजित मध्यप्रदेश के रीवा और सतना जिले से करियर की शुरुआत की थी। छत्तीसगढ़ बनने के बाद उनकी पोस्टिंग बस्तर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर और राजनांदगांव जैसे नक्सल प्रभावित इलाकों में हुई। नक्सल उन्मूलन में योगदान के लिए उन्हें वर्ष 2016 में राष्ट्रपति पदक और 2021 में राष्ट्रपति का सराहनीय सेवा पदक प्रदान किया गया था।


मीडिया की भूमिका

इस मामले को लेकर मीडिया ने भी सक्रिय भूमिका निभाई है। जागरण ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था, जिसके बाद प्रशासन हरकत में आया और पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए अधिकारियों से जवाब मांगा गया है। मीडिया की सक्रियता ने प्रशासन को इस मामले में कार्रवाई करने के लिए प्रेरित किया।


निष्कर्ष

बलरामपुर के एसडीओपी याकूब मेमन पर दुष्कर्म का आरोप छत्तीसगढ़ पुलिस सेवा में एक गंभीर घटना है। इस मामले ने पुलिस विभाग की छवि को आहत किया है और यह दर्शाता है कि उच्च पदों पर तैनात अधिकारियों को भी कानून के दायरे में रहकर कार्य करना चाहिए। महिला की शिकायत के बाद एफआईआर दर्ज की गई है, जो यह संकेत देती है कि न्याय की प्रक्रिया में कोई भी बाधा नहीं डाली जाएगी।

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