छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) परीक्षा पेपर लीक मामले ने राज्य में भर्ती प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।

छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) परीक्षा पेपर लीक मामले ने राज्य में भर्ती प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।

29, 9, 2025

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छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) परीक्षा पेपर लीक मामले ने राज्य में भर्ती प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। 2020 से 2022 तक CGPSC की राज्य सेवा परीक्षा में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और पैसे के खेल का खुलासा हुआ है।


कैसे हुआ पेपर लीक?

सीबीआई जांच से सामने आया कि राज्य सेवा परीक्षा के प्रश्न पत्र मुख्य परीक्षा से पहले ही तत्कालीन चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी, परीक्षा नियंत्रक आरती वासनिक, सचिव जीवन किशोर ध्रुव और उनकी बहुऐं निशा कोसले व दीपा आदिल तक पहुंच गए थे। इन अधिकारी-कर्मचारियों ने अपने रिश्तेदारों और परिचितों को पेपर बांटकर भर्ती प्रक्रिया में घपला किया।


2021 भर्ती परीक्षा में 1,29,206 उम्मीदवारों ने परीक्षा दी थी, जिनमें से सिर्फ 170 का चयन हुआ। चयनितों में सीधे वरिष्ठ अधिकारियों के परिवार व रिश्तेदार शामिल थे।


सोनवानी ने नियम बदलवाकर 'रिश्तेदार' शब्द को 'परिवार' से बदल दिया, जिससे भतीजों को लाभ मिला।


भ्रष्टाचार की परतें और आर्थिक गड़बड़ी

सीबीआई चार्जशीट के अनुसार, पर्चा लीक करने की जिम्मेदारी परीक्षा नियंत्रक आरती वासनिक और प्रिंटर फर्म के अरुण द्विवेदी पर थी। सोनवानी के परिवार को गोयल परिवार और BPIL कंपनी से CSR (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) फंड के नाम पर लाखों रुपये मिले। यह रकम जीवीएस नामक एनजीओ को दी गई, जिसके संचालन में सोनवानी का परिवार जुड़ा था।


कंपनी से मिले फंड का इस्तेमाल निजी हितों के लिए किया गया, न कि छात्रावास जैसी घोषित योजना के लिए।


पूरे मामले में ऊपरी पदों पर बैठे अधिकारियों की मिलीभगत उजागर हो गई।


जांच और प्रशासनिक कार्रवाई

सीबीआई ने इस भ्रष्टाचार के मामले में तत्कालीन चेयरमैन, परीक्षा नियंत्रक, सचिव, उनके रिश्तेदारों समेत कुल पांच आरोपितों को गिरफ्तार किया। कोर्ट ने सभी को 6 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में भेजने की आदेश दिया है। आरती वासनिक के निलंबन की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।


हाईकोर्ट ने बयान दिया कि यह अपराध हत्या से भी गंभीर है।


उम्मीदवारों और आम नागरिकों में भारी असंतोष है, सभी जवाबदेही और निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं।


जवाबदेही और सुधार की मांग

CGPSC भर्ती प्रक्रिया के इस घोटाले के बाद अभ्यर्थी और समाज सीबीआई जांच तथा सख्त प्रशासनिक कार्रवाई चाहते हैं। सभी चाहते हैं कि दोषियों को कठोर सजा मिले और आयोग की प्रणाली साफ-सुथरी बने।


निष्कर्ष

CGPSC पेपर लीक घोटाले ने छत्तीसगढ़ में सरकारी भर्ती की प्रक्रिया की पारदर्शिता, न्याय और विश्वास को गहरी चोट दी है। अब पूरे राज्य में भर्ती प्रक्रियाओं की निगरानी, जवाबदेही, और पारदर्शिता बढ़ाने की मांग प्रबल हो गई है, ताकि भविष्य में योग्य उम्मीदवारों को ही अवसर मिल सके।

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