कवर्धा के लोहारडीह मामले में सरकार की बड़ी कार्रवाई

कवर्धा के लोहारडीह मामले में सरकार की बड़ी कार्रवाई

29, 9, 2025

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कबीरधाम जिले के लोहारडीह गाँव में हुई हिंसा और एक व्यक्ति की हिरासत में मौत के बाद सरकार ने कार्रवाई करते हुए दो पुलिसकर्मियों को निलंबित किया है एवं 23 पुलिसकर्मियों को लाइन अटैच कर दिया गया है। इस फैसले के पीछे ग्रामीणों द्वारा पुलिस प्रशासन पर लगे अवैध गिरफ्तारी और गंभीर लापरवाही के आरोप हैं। घटना ने प्रशासनिक-नीतिक दबाव बढ़ा दिया है।


घटना का क्रम

  • लोहारडीह में उत्पन्न विवाद तब बड़ा हुआ जब गाँव में एक आगजनी की घटना हुई थी। उप सरपंच रघुनाथ साहू के घर पर ग्रामीणों ने हमला किया और आग लगा दी। पुलिस की कार्रवाई के दौरान लगभग 69 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इनमें मृतक प्रशांत साहू, उनका भाई और मां भी शामिल थे। 

  • गिरफ्तार प्रशांत साहू जेल में बंद होने के बाद, अचानक उसकी मौत हो गई। 

  • ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि हिरासत में वह नामनिहाय जगहों से उठाया गया था और पुलिस ने पूरे मामले में उपयुक्त जांच-पड़ताल नहीं की थी। पुलिस पर यह भी आरोप थे कि गिरफ्तारी की प्रक्रिया अवैध थी तथा हत्या-समान व्यवहार हुआ। 


सरकार की प्रतिक्रिया

  • मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए मजिस्ट्रियल जांच के निर्देश दिए हैं। जांच की जिम्मेदारी अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी (एडिशनल डीए) निर्भय कुमार साहू को सौंपी गई है। 

  • पुलिस महानिरीक्षक (राजनांदगांव रेंज) दीपक कुमार झा ने आदेश जारी किया है कि इस मामले में दो पुलिसकर्मी — थाना सिंघनपुरी के एएसआई कुमार मंगलम और महिला आरक्षक अंकिता गुप्ता — को निलंबित किया जाएँ। 

  • साथ ही 23 अन्य पुलिसकर्मियों को लाइन अटैच किया गया है। ये पुलिसकर्मी विभिन्न थानों और चौकियों से हैं, जिनमें रेंगाखार, बरभांठा आदि शामिल हैं। 

  • इसके अलावा, नक्सल ऑपरेशन के पर्यवेक्षण की जिम्मेदारियाँ बदल दी गई हैं। पुलिस अधीक्षक कबीरधाम द्वारा पहले उप पुलिस अधीक्षक संजय ध्रुव को दिए गए पर्यवेक्षण क्षेत्रों को बदलकर उप पुलिस अधीक्षक कृष्णकुमार चंद्राकर को सौंपा गया है। 


निलंबित तथा लाइन अटैच किए गए पुलिस कर्मियों की सूची

निलंबित:

  • कुमार मंगलम (सहायक उपनिरीक्षक, थाना सिंघनपुरी) 

  • अंकिता गुप्ता (महिला आरक्षक, चौकी बरभांठा) 

लाइन अटैच किए गए पुलिसकर्मी:
इनके अलावा कुल 23 पुलिसकर्मी लाइन अटैच किए गए हैं। उनमें शामिल हैं: निरीक्षक झुमुक लाल सांडिल्य, बलदाऊ राम साहू, पुरानिक दास लहरे, कोमल सिंह मेरावी, दिनेश धुर्वे, बृजलाल मरकाम, पवन कुमार चंद्रवंशी, हरनारायण चेलकर, मन्नू लाल, लाल बहादूर पात्रे, महिला आरक्षक सुनीता मरकाम, आरक्षक बलदेव सिंह मेरावी, राकेश कुमार तिलगाम, माखन लाल मरकाम, फागूराम सैय्याम, सूरज कुमार कुर्रे, विनोद कुमार, नरेन्द्र सिंह, धनेश कुमार नेताम, शिवेन्द्र सिंह ठाकुर, नेम सिंह ध्रुवे, कोमल प्रसाद धुर्वे, और सैनिक मोनीष धुर्वे। 


क्यों हुई यह कार्रवाई?

  • ग्रामीणों का आरोप है कि गिरफ्तारियाँ अवैध थीं और गिरफ्तारी के बाद हिरासत में रखे गए प्रशांत साहू की मृत्यु हुई, जिसमें पुलिस द्वारा लापरवाही बरती गई। 

  • सरकार ने यह माना कि घटना की सार्वजनिक प्रतिक्रिया और आक्रोश इतना बढ़ गया कि प्रशासन की विश्वसनीयता दांव पर थी। इसलिए तत्काल कार्रवाई जरूरी थी। 

  • मुख्यमंत्री ने साफ शब्दों में कहा कि भविष्य में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। 


चुनौतियाँ और आगे की राह

  • यह जांच देखना है कि हिरासत में मृत्यु किस वजह से हुई — बीमारी, घुटन, या किसी बाह्य कारण से?

  • लाइन अटैच या निलंबन सिर्फ शुरुआत हो सकते हैं — असली न्याय तभी होगा जब घटना की पूरी सच्चाई सामने आए और दोषियों को दंड मिले।

  • ग्रामीणों का भरोसा पुलिस व्यवस्था में टूट गया है; उसकी बहाली के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही ज़रूरी है।

  • इस तरह की घटनाएँ पुलिस प्रशिक्षण और मानवाधिकार जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता को फिर से रेखांकित करती हैं।

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