सहारा समूह और अदाणी प्रॉपर्टीज़ के बीच संपत्ति सौदे को लेकर हाल ही में एक महत्वपूर्ण विकास हुआ है।

सहारा समूह और अदाणी प्रॉपर्टीज़ के बीच संपत्ति सौदे को लेकर हाल ही में एक महत्वपूर्ण विकास हुआ है।

29, 9, 2025

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सहारा समूह और अदाणी प्रॉपर्टीज़ के बीच संपत्ति सौदे को लेकर हाल ही में एक महत्वपूर्ण विकास हुआ है। सहारा इंडिया कमर्शियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (SICCL) ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की है, जिसमें समूह की 88 प्रमुख संपत्तियों को अदाणी प्रॉपर्टीज़ प्राइवेट लिमिटेड को बेचने की अनुमति मांगी गई है। इसमें महाराष्ट्र के लोनावला के पास स्थित 8,810 एकड़ में फैला अंबी वैली सिटी और लखनऊ में स्थित सहारा शहर जैसी प्रमुख संपत्तियाँ शामिल हैं। 


🔍 सौदे की पृष्ठभूमि

यह कदम सहारा समूह द्वारा निवेशकों को उनकी रिफंड राशि लौटाने के लिए उठाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में सहारा द्वारा जारी की गई ऑप्शनल फुली कन्वर्टिबल डिबेंचर (OFCD) के माध्यम से जुटाए गए ₹24,030 करोड़ की राशि निवेशकों को लौटाने का आदेश दिया था। अब तक, सहारा समूह ने लगभग ₹16,000 करोड़ SEBI-सहारा रिफंड अकाउंट में जमा किए हैं। 

हालांकि, सहारा समूह को अपनी संपत्तियों को बेचने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। बाजार की स्थिति, कानूनी विवादों और विभिन्न जांच एजेंसियों की कार्रवाई के कारण संपत्तियों की बिक्री में रुकावटें आई हैं। इसके अतिरिक्त, सहारा के संस्थापक सुब्रत रॉय की नवंबर 2023 में मृत्यु के बाद समूह में निर्णय लेने की प्रक्रिया प्रभावित हुई है। 


🏢 प्रस्तावित संपत्तियाँ

SICCL द्वारा दायर याचिका में 88 संपत्तियों की सूची दी गई है, जिन्हें अदाणी प्रॉपर्टीज़ को बेचा जाएगा। इनमें प्रमुख संपत्तियाँ शामिल हैं:

  • अंबी वैली सिटी, महाराष्ट्र: 8,810 एकड़ में फैला यह प्रोजेक्ट सहारा समूह का प्रमुख संपत्ति है।

  • सहारा शहर, लखनऊ: यह लखनऊ में स्थित एक प्रमुख आवासीय और वाणिज्यिक परियोजना है।

  • होटल सहारा स्टार, मुंबई: मुंबई के प्रमुख होटल में से एक।

  • सहारा शाहर, लखनऊ: लखनऊ में स्थित एक और प्रमुख संपत्ति।

  • अन्य संपत्तियाँ: नोएडा, गुरुग्राम, मुंबई, राजस्थान, गुजरात, पश्चिम बंगाल, झारखंड, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में स्थित विभिन्न भूमि और भवन। 


⚖️ कानूनी पहलू

SICCL ने सर्वोच्च न्यायालय से अनुरोध किया है कि वह इस प्रस्तावित सौदे को मंजूरी दे और संपत्तियों पर लगे सभी अटैचमेंट आदेशों को हटाए। साथ ही, एक उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया जाए, जिसका नेतृत्व एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश करें, जो सौदे की प्रक्रिया की निगरानी करे और निवेशकों, कर्मचारियों, करों और अन्य देनदारियों के भुगतान की व्यवस्था करे। 

इसके अतिरिक्त, सहारा समूह ने अदालत से यह भी अनुरोध किया है कि वह सभी मौजूदा और भविष्य की जांचों, जैसे कि प्रवर्तन निदेशालय (ED), गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (SFIO), आयकर विभाग और राज्य पुलिस द्वारा की जा रही जांचों से सुरक्षा प्रदान करे। इससे सौदे की प्रक्रिया में कोई विघ्न न आए और निवेशकों को समय पर रिफंड मिल सके। 


📆 अगला कदम

SICCL की याचिका पर सुनवाई 14 अक्टूबर 2025 को सर्वोच्च न्यायालय में निर्धारित की गई है। यदि अदालत इस सौदे को मंजूरी देती है, तो यह सहारा समूह के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा, जिससे वह अपने निवेशकों को उनकी रिफंड राशि लौटा सकेगा और समूह की वित्तीय स्थिति में सुधार हो सकेगा।


📝 निष्कर्ष

यह प्रस्तावित सौदा सहारा समूह और अदाणी प्रॉपर्टीज़ के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करता है। यदि यह सौदा सफल होता है, तो इससे न केवल सहारा समूह की वित्तीय स्थिति में सुधार होगा, बल्कि निवेशकों को भी उनकी रिफंड राशि मिल सकेगी। हालांकि, यह प्रक्रिया कानूनी और नियामक चुनौतियों से भरी हुई है, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय की मंजूरी के बाद यह एक सकारात्मक दिशा में कदम होगा।

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