प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इंदौर स्थित पाथ इंडिया ग्रुप के कार्यालयों और निदेशकों के आवासों पर मंगलवार, 30 सितंबर 2025 को छापेमारी की।

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इंदौर स्थित पाथ इंडिया ग्रुप के कार्यालयों और निदेशकों के आवासों पर मंगलवार, 30 सितंबर 2025 को छापेमारी की।

29, 9, 2025

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प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इंदौर स्थित पाथ इंडिया ग्रुप के कार्यालयों और निदेशकों के आवासों पर मंगलवार, 30 सितंबर 2025 को छापेमारी की। यह कार्रवाई कथित तौर पर अनिल अंबानी से जुड़े बैंक लोन घोटाले के सिलसिले में की गई है, जिसमें करोड़ों रुपये की हेराफेरी की आशंका जताई जा रही है।


🔍 पाथ इंडिया ग्रुप पर ED की छापेमारी

ED की टीम ने महू स्थित पाथ इंडिया ग्रुप के मुख्यालय सहित निदेशकों के आवासों पर एक साथ छापे मारे। इस दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस जब्त किए गए हैं, जो आगे की जांच में सहायक हो सकते हैं। पाथ इंडिया ग्रुप के प्रबंध निदेशक नितिन अग्रवाल हैं, जबकि निदेशकों में निपुण अग्रवाल, सक्षम अग्रवाल, नीति अग्रवाल और संतोष अग्रवाल शामिल हैं।


💼 अनिल अंबानी से जुड़ी संभावित कड़ी

सूत्रों के अनुसार, पाथ इंडिया ग्रुप और अनिल अंबानी की कंपनियों के बीच कुछ निर्माण कार्यों के लिए समझौते किए गए थे। ED को शक है कि इन समझौतों के माध्यम से करोड़ों रुपये की हेराफेरी की गई है। यह मामला अनिल अंबानी से जुड़े बैंक लोन घोटाले से जुड़ा हुआ प्रतीत हो रहा है, जिसमें सार्वजनिक बैंकों से लिए गए ऋणों के दुरुपयोग की आशंका जताई जा रही है।


📜 पहले भी हुई थी जांच

यह पहली बार नहीं है जब पाथ इंडिया ग्रुप पर जांच की जा रही है। इससे पहले भी आयकर विभाग ने इस ग्रुप के खिलाफ कार्रवाई की थी। हालांकि, पिछली जांचों में कोई ठोस सबूत नहीं मिलने के कारण मामला बंद कर दिया गया था। लेकिन इस बार ED की छापेमारी से यह संकेत मिलता है कि मामला गंभीर है और इसमें बड़े वित्तीय घोटाले की संभावना है।


🧾 ED की कार्रवाई का उद्देश्य

ED की इस छापेमारी का मुख्य उद्देश्य पाथ इंडिया ग्रुप और अनिल अंबानी की कंपनियों के बीच वित्तीय लेन-देन की जांच करना है। एजेंसी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या इन लेन-देन के माध्यम से कोई धनशोधन (money laundering) हुआ है या नहीं। इसके लिए ED ने संबंधित दस्तावेजों और डिजिटल डिवाइसों की जांच शुरू कर दी है।


🔮 भविष्य की दिशा

पाथ इंडिया ग्रुप पर ED की यह छापेमारी एक संकेत है कि सरकार और जांच एजेंसियां वित्तीय घोटालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही हैं। यह कदम वित्तीय पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है। हालांकि, जांच के परिणाम आने में समय लगेगा, लेकिन यह कार्रवाई यह दर्शाती है कि बड़े वित्तीय घोटालों को लेकर अब कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

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