चंडीगढ़ में अब साल में दो बार UG प्रवेश — छात्रों के लिए नई सुविधा

चंडीगढ़ में अब साल में दो बार UG प्रवेश — छात्रों के लिए नई सुविधा

29, 9, 2025

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चंडीगढ़ में अब छात्रों को स्नातक (UG) पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने का एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। अब उन्हें साल में दो बार प्रवेश का अवसर मिलेगा — यानी जनवरी और जुलाई दोनों सत्रों में। इस फैसले को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के तहत लागू किया जाएगा। 

यह नई व्यवस्था विशेष रूप से उन छात्रों के लिए वरदान साबित हो सकती है जिन्हें किसी कारणवश जुलाई-सत्र से चूकना पड़ा हो — जैसे बोर्ड परीक्षा परिणाम देर से आ जाना, स्वास्थ्य संबंधी कारण या अन्य निजी कारण। UGC ने इसे अभिसमर्थन देते हुए कहा है कि उच्च शिक्षा संस्थान (HEIs) को इस लचीलेपन का उपयोग करना चाहिए, बशर्तु उनके पास आवश्यक संसाधन, अवसंरचना और शिक्षण स्टाफ हो। 


निर्णय के मुख्य बिंदु

  • छात्रों को अब किसी भी स्ट्रीम (आर्ट्स, साइंसेस, कॉमर्स आदि) में प्रवेश लेने का विकल्प दोनों सत्रों में मिलेगा।

  • यह व्यवस्था अनिवार्य नहीं होगी; प्रत्येक कॉलेज या विश्वविद्यालय अपनी स्थिति, संसाधन और तैयारी के अनुसार तय करेगा कि वह इस विकल्प को अपनाए या नहीं।

  • UGC ने यह स्पष्ट किया है कि यदि संस्थान इस व्यवस्था को अपनाना चाहते हैं, तो उन्हें अपने नियमों में संशोधन करना होगा और संसाधन प्रबंधन ठीक से करना होगा।


संभावित लाभ

  1. अवसर न चूकने की चिंता खत्म
    पहले, यदि कोई छात्र जुलाई सत्र से प्रवेश नहीं ले पाता था, तो उसे पूरी एक वर्ष की देरी सहनी पड़ती थी। अब, अगर वह जुलाई सत्र चूक जाए, तो जनवरी सत्र में आवेदन कर सकता है।
    यह उन छात्रों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जिनके बोर्ड परीक्षा परिणाम देर से आए हों या जिनके पास समय की कमी हो।

  2. उच्च शिक्षा सहभागिता बढ़ाना (GER में सुधार)
    इस नए विकल्प से अधिक संख्या में छात्र उच्च शिक्षा तक पहुँच सकेंगे। यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के लक्ष्य — “शिक्षा का विस्तार और सुलभता” — को भी सुदृढ़ करेगा।उद्योग और भर्ती अवसर
    दो सत्रों की व्यवस्था से विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में छात्रों की संख्या और प्रवाह संतुलित रहेगा। इसके अलावा, उद्योगों को साल में दो बार कैंपस भर्ती करने का अवसर मिलेगा, जिससे छात्रों को समय पर रोजगार अवसर मिल सकें।

  3. विश्वविद्यालय संचालन में लचीलापन
    संसाधनों का बेहतर प्रबंधन, कक्षाओं–प्रयोगशालाओं का उपयोग अधिक समय तक संभव होना और शैक्षिक कार्यक्रमों का विभाजन करना आसान होगा।


चुनौतियाँ और सावधानियां

हालाँकि यह निर्णय छात्रों के लिए सकारात्मक है, कुछ चुनौतियाँ और मुद्दे हैं जिनका विचार करना अवश्यक है:

  • अवसंरचना की कमी
    हर कॉलेज या विश्वविद्यालय के पास पर्याप्त कक्षाएँ, प्रयोगशालाएँ और अन्य सुविधाएँ नहीं हो सकतीं। ऐसे संस्थानों को दो सत्रों की व्यवस्था सुविधा अनुसार समायोजित करनी होगी।
  • शिक्षण स्टाफ की उपलब्धता
    अगर शिक्षकों की संख्या कम हो या वे पहले से ही कष्ट कर रहे हों, तो दो सत्रों का दबाव बढ़ सकता है। इस व्यवस्था को लागू करने के लिए स्टाफ़िंग योजना मजबूत होनी चाहिए।
  • समय तालमेल एवं शेड्यूलिंग
    दो सत्रों के बीच पाठ्यक्रम, परीक्षाएँ और अवकाशों का संतुलन बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
  • अनुपालन और नियमों में बदलाव
    संस्थानों को अपनी प्रवेश प्रक्रियाओं, नियमों और समय सारिणी में बदलाव करना होगा। इसमें प्रशासनिक सुधार और नियमों का पुनर्समायोजन शामिल होगा।
  • चयन और प्रवेश परीक्षा व्यवस्था
    यदि किसी पाठ्यक्रम के लिए प्रवेश परीक्षा होनी हो, तो सवाल यह है कि वो परीक्षा कितनी बार होगी — एक या दो बार? यह विद्यार्थियों और अभ्यर्थियों के लिए अतिरिक्त योजना बनाने की चुनौती हो सकती है।

चंडीगढ़ / पंजाब विश्वविद्यालय (PU) की स्थिति

चंडीगढ़ की पानजाब विश्वविद्यालय (Panjab University) ने, हालांकि UGC ने इसे अनुमति दी है, लेकिन अभी तक इस प्रणाली को अपनाने की कोई घोषणा नहीं की है। विश्वविद्यालय का कारण है कि उसके पास संसाधन और तैयारी पूरी नहीं है, और दो सत्रों को संभालने में कठिनाई होगी। 

ऐसा कहा गया है कि PU ने इस विकल्प से इस वर्ष के लिए दूर रहने का निर्णय लिया है, क्योंकि वर्तमान शैक्षणिक चक्र पहले ही शुरू हो चुका है और बदलाव करना अभी संभव नहीं है। 

इसका मतलब है कि यह नई व्यवस्था तुरंत सभी विश्वविद्यालयों में लागू नहीं होगी — हर संस्थान को अपनी तैयारी और स्थिति के अनुसार निर्णय लेना होगा।

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