2025: एक-एक कर ढेर हो रहे शीर्ष माओवादी, टूट रही संगठन की रीढ़

2025: एक-एक कर ढेर हो रहे शीर्ष माओवादी, टूट रही संगठन की रीढ़

11, 8, 2025

13

image

छत्तीसगढ़ के गरियाबंद की पहाड़ियों में गुरुवार की सुबह गूंजे गोलियों के स्वर ने भारत की सबसे लंबी चली विद्रोही कथा के अंतिम अध्याय में नया पन्ना जोड़ दिया। केंद्रीय समिति स्तर का शीर्ष माओवादी आतंकी एक करोड़ का इनामी मोडेम बालकृष्ण सुरक्षा बलों की कार्रवाई में मारा गया। वहीं उसके साथ दस और हथियारबंद साथी भी ढेर हो गए।


माओवादी संगठन पर गहरा आघात

वर्ष 2025 माओवादियों के लिए काल साबित हुआ है। बसवराजू, सुधाकर, चलपति, उदय और अब बालकृष्ण ये वे नाम थे, जिनके सहारे संगठन अपनी पकड़ बनाए हुए था। लेकिन एक-एक कर सब धराशायी हो गए। इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि एक वर्ष के भीतर माओवादी संगठन के पांच केंद्रीय समिति सदस्य मुठभेड़ों में मारे गए हों।


सुरक्षा बलों की रणनीति और सफलता

सुरक्षा बलों की शौर्य और सरकार की आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति के बल पर आज बस्तर बदल रहा है। अकेले छत्तीसगढ़ में पिछले दो वर्षों में 465 से अधिक माओवादी मारे गए हैं, जिनमें से 400 से अधिक बस्तर क्षेत्र से थे। इनमें 25 लाख के इनामी जोगन्ना, नीति, रुपेश, सुधीर, जगदीश समेत 12 राज्य स्तरीय (एसजेडसी) माओवादी भी मारे गए हैं।


मुठभेड़ की घटना

गरियाबंद की पहाड़ियों में हुई मुठभेड़ में मोडेम बालकृष्ण और उसके दस साथियों की मौत ने माओवादी संगठन को गहरा आघात पहुंचाया है। यह मुठभेड़ उस लाल आतंक पर निर्णायक चोट थी, जिसने आधी सदी से अधिक समय तक आदिवासी अंचलों को अपनी बंदूक की छाया में कैद रखा।


माओवादी आंदोलन का इतिहास

माओवादी आंदोलन के इतिहास में इससे पहले सबसे बड़ा झटका 2 नवंबर 1999 को तेलंगाना के करीमनगर जिले में लगा था, जब पीपुल्स वार ग्रुप के तीन केंद्रीय समिति सदस्य मारे गए थे। लेकिन 2025 ने संगठन की रीढ़ हिला दी है।


भविष्य की दिशा

सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाई और सरकार की पुनर्वास नीति के कारण माओवादी संगठन कमजोर हो रहा है। आने वाले समय में बस्तर और अन्य प्रभावित क्षेत्रों में शांति और विकास की नई राहें खुलने की संभावना है।

Powered by Froala Editor