प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

30, 9, 2025

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। उन्होंने देश के स्पेसटेक स्टार्टअप्स से अगले पांच वर्षों में पांच यूनिकॉर्न बनाने और वार्षिक रॉकेट लॉन्च की संख्या को 50 तक बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस पहल का उद्देश्य भारत को वैश्विक अंतरिक्ष शक्ति के रूप में स्थापित करना है। 


गगनयान मिशन: भारत की मानव अंतरिक्ष उड़ान

भारत की पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान, गगनयान मिशन, दिसंबर 2025 में लॉन्च होने की योजना है। इस मिशन में 'व्योममित्रा' नामक एक मानवोपम रोबोट को भेजा जाएगा, जो अंतरिक्ष में जीवन समर्थन प्रणालियों की कार्यक्षमता की जांच करेगा। इसके बाद, 2027 में भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन लॉन्च किया जाएगा, जिसमें चार सदस्यीय दल अंतरिक्ष यात्रा पर जाएगा। 


ADRDE का योगदान: गगनयान के लिए पैराशूट प्रणाली

आगरा स्थित ADRDE (Advanced Defence Research and Development Establishment) ने गगनयान मिशन के लिए रिकवरी पैराशूट प्रणाली विकसित की है। इस प्रणाली का हाल ही में सफल परीक्षण किया गया, जिसमें एक 5 टन वजनी डमी क्रू कैप्सूल को चिनूक हेलीकॉप्टर से गिराया गया और पैराशूट की चार चरणों में तैनाती से सुरक्षित जलमग्नन सुनिश्चित किया गया। यह परीक्षण मिशन की सुरक्षा प्रणालियों की पुष्टि करता है। 


स्पेसटेक स्टार्टअप्स: नवाचार और आत्मनिर्भरता की दिशा में

भारत में वर्तमान में 350 से अधिक स्पेसटेक स्टार्टअप्स सक्रिय हैं, जो उपग्रह प्रौद्योगिकी, प्रोपल्शन सिस्टम, इमेजिंग और अन्य क्षेत्रों में नवाचार कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने इन स्टार्टअप्स से सार्वजनिक सेवा के लिए नए समाधान और नवाचार विकसित करने की अपील की है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र आने वाले समय में नई ऊँचाइयों तक पहुंचेगा। 


विक्रम 32: भारत का स्वदेशी स्पेस-ग्रेड माइक्रोप्रोसेसर

सितंबर 2025 में, भारत ने अपना पहला स्वदेशी 32-बिट स्पेस-ग्रेड माइक्रोप्रोसेसर 'विक्रम 3201' लॉन्च किया। यह प्रोसेसर लॉन्च वाहन एवियोनिक्स और अंतरिक्ष मिशनों के लिए डिज़ाइन किया गया है और इसे चंडीगढ़ स्थित सेमीकंडक्टर लैबोरेटरी (SCL) के सहयोग से विकसित किया गया है। यह कदम भारत की माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स में आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण है। 


निष्कर्ष

प्रधानमंत्री मोदी की पहल और भारत सरकार की योजनाओं से यह स्पष्ट है कि भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से बढ़ रहा है। स्पेसटेक स्टार्टअप्स, गगनयान मिशन, विक्रम 32 प्रोसेसर और ADRDE के योगदान से भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र वैश्विक मंच पर मजबूती से खड़ा हो रहा है। इन प्रयासों से भारत न केवल अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि वैश्विक अंतरिक्ष शक्ति के रूप में भी उभरेगा।

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